नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन जंग (russia-ukraine war) को दो साल (two years) से अधिक हो गए. अब भी कत्लेआम जारी है. पूरी दुनिया किसी तरह जंग खत्म कराने की कोशिश में है. भारत (India) भी चाहता है जंग खत्म हो. बातचीत से दोनों देशों के बीच अमन-चैन कायम हो. मगर दूसरी ओर चीन (China) है, जो आग में घी डाल रहा है. चीन लगातार रूस (Russia) को सैन्य और तकनीकी मदद कर रहा है. बात-बात पर गीदड़भभकी देने वाला चीन नहीं चाहता कि जंग खत्म हो. खुद अमेरिका ने चीन की पोल खोल दी है. अमेरिका ने डंके की चोट पर कहा है कि रूस-यूक्रेन जंग में चीन पुतिन की मदद कर रहा है. बीजिंग में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स ने कहा कि यूक्रेन पर हमले में चीन द्वारा रूस को मिसाइल और अन्य हथियारों के रूप में तकनीकी मदद देना ‘एक बड़ी गलती’ है.
अमेरिका ने चीन के घर में ही उसकी पोल खोली है. चीन के वित्तीय केंद्र शंघाई में दिए गए भाषण में अमेरिकी राजदूत निकोलस बर्न्स ने यह भी कहा कि रूस का हमला तीसरे साल में प्रवेश कर गया है. यह यूरोप में ‘अस्तित्व का संकट’ बन गया है. बर्न्स ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस भयानक युद्ध के लिए रूसी संघ के रक्षा औद्योगिक आधार को सुदृढ़ और मजबूत करने के लिए हजारों की संख्या में चीनी कंपनियों को रूस को इतने सारे घटक, प्रौद्योगिकी घटक, माइक्रोप्रोसेसर (और) नाइट्रोसेल्यूलोज भेजने की अनुमति देना एक बड़ी गलती है.’
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि चीन ‘निष्पक्ष नहीं है, बल्कि इस युद्ध में उसने प्रभावी रूप से रूस का पक्ष लिया है’. उन्होंने कहा कि यह निर्णय चीन के लंबे समय से ‘संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता’ पर बल देने के सिद्धांत का खंडन करता है. बता दें कि चीन रूस को प्रत्यक्ष सैन्य सहायता प्रदान नहीं करने की बात पर जोर देता है, लेकिन पूरे संघर्ष के दौरान उसने मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए रखे हैं. साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भी होती रहती हैं.
हालांकि, अमेरिका की इस टिप्पणी पर चीन का अब तक कोई जवाब नहीं आया है. चीन-अमेरिका संबंधों पर एक कार्यक्रम के दौरान यह टिप्पणी की गई. अमेरिकी राजदूत ने यह अहम टिप्पणी ऐसे वक्त में की है, जब चीन और अमेरिका के संबंधों में काफी तकरार देखने को मिल रही है. ताइवान से लेकर तिब्बत जैसे मुद्दों पर अमेरिका और चीन आमने-सामने हैं. दोनों के बीच तल्खी काफी बढ़ गई है. अमेरिका और चीन दोनों एक-दूसरे पर हमला करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते. अब जब अमेरिका यह बात जान गया है कि रूस-यूक्रेन जंग में चीन ने रूस की मदद की है तो सवाल है कि क्या अमेरिका कोई बड़ा एक्शन लेगा. क्या अमेरिका समेत नाटो देश चीन पर औरक शिकंजा कसेंगे?
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