नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख के गोगरा हॉट स्प्रिग्स क्षेत्र से भारत और चीनी सैनिक 12 सितंबर को पूरी तरीके से पीछे हट गए थे. अब खबर है कि चीनी सैनिक गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार अपने कब्जे वाले स्थान से 3 किलोमीटर पीछे हट गए हैं. सैटेलाइट तस्वीरों से इस बात की जानकारी सामने आई है. हालांकि इन तस्वीरों में बफर या नो मैन्स लैंड की सीमा नहीं दिखाई गई है. केवल चीनी सैनिकों की पॉजिशन पर फोकस किया गया है. इस तस्वीर में डिसइंगेजमेंट से पहले और बाद की स्थिति दिखाई गई है.
12 अगस्त, 2022 की डिसइंगेजमेंट के पहले की तस्वीर से पता चलता है कि चीनी सेना ने एलएसी के पार एक बड़ी इमारत का निर्माण किया था, जो उस क्षेत्र के पास था जहां 2020 में चीनी घुसपैठ से पहले भारतीय सेना गश्त करती थी. ये इमारत खाइयों से घिरी हुई थी और जो पैदल सेना और मोर्टार की स्थिति के लिए बनाई गई थी.
चीनी सैनिकों ने गिरा दी इमारत
वहीं 15 अगस्त की सैटेलाइट तस्वीर से पता चला कि चीनी सैनिकों ने इस इमारत को गिरा दिया और निर्माण के मलबे को इस साइट से उत्तर की ओर ले गए. एक अन्य तस्वीर से पता चलता है कि चीन की तरफ से खाली की गई साइट पर लैंडफॉर्म को दोनों पक्षों द्वारा घोषित डिसइंगेजमेंट समझौते की तर्ज पर बहाल कर दिया गया है.
8 सितंबर को हुई थी डिसइंगेजमेंट की घोषणा
बता दें, भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने के लिए रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए गोगरा हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र के पेट्रोल पॉइंट 15 से सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है. एक कार्यक्रम से इतर, पीपी-15 में सैनिकों के पीछे हटने के बारे में पूछे जाने पर थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था, मुझे जाकर जायजा लेना होगा. लेकिन यह (सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया) निर्धारित कार्यक्रम और निर्णय के अनुसार हो रही है.
सूत्रों ने बताया था कि टकराव वाले स्थान पर बनाए गए सभी अस्थायी बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया है. हालांकि ये पता चल नहीं पाया है कि क्या दोनों पक्ष पीपी-15 पर एक बफर जोन बनाएंगे, जैसा कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर और पिछले साल गश्त चौकी-17 (ए) पर गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों को हटाने के बाद किया गया था. बफर जोन में कोई भी पक्ष गश्त नहीं करता है.
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