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    चीन को मिली बड़ी कामयाबी, चंद्रमा की ‘अंधेरी दुनिया’ में दूसरी बार उतरा लैंडर, चांद से लाएगा चट्टान

  • June 02, 2024

    बीजिंग: चीन (China) ने अंतरिक्ष (space) के मिशन में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। चीन का चांग’ई-6 चंद्र लैंडर (Chang’e-6 Lunar Lander) बीजिंग (beijing) समयानुसार रविवार की सुबह सफलतापूर्वक चंद्रमा (moon) की दूसरी ओर उतरा। यह चीन के महत्वाकांक्षी मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की चीन की आकांक्षाओं को आगे बढ़ा सकता है। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने घोषणा की कि चांग’ई-6 लैंडर दक्षिणी ध्रुव-ऐटकेन बेसिन में उतरा। यहां से वह चंद्रमा की सतह के नमूने इकट्ठा करना शुरू करेगा।


    यह चीन का अब तक का सबसे मुश्किल चंद्रमा मिशन है। इस मिशन का लक्ष्य पहली बार चंद्रमा के दूर के हिस्से से नमूने को पृथ्वी पर लाना है। यह दूसरा मिशन है जब कोई लैंडर सफलतापूर्वक चंद्रमा के सुदूर हिस्से में पहुंच गया है। पहली बार चीन ने ही 2019 में अपने चांग’ई-4 मिशन के जरिए इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल किया था। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो 3 मई को शुरू हुआ मिशन 53 दिनों तक चलेगा। चीन दुनिया की एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनना चाहता है, जिसमें यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकता है।

    क्यों सैंपल चाहता है चीन
    चीन की योजना है कि 2030 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारा जाए। इसके दक्षिणी ध्रुव पर चीन एक रिसर्च बेस बनाना चाहता है। माना जाता है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी बर्फ के रूप में जमा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चांग’ई-6 लैंडर की ओर से इकट्ठा किए गए नमूने चंद्रमा, पृथ्वी और सौर मंडल की उत्पत्ति और विकास को लेकर महत्वपूर्ण सुराग प्रदान कर सकते हैं। वहीं यह डेटा चीन के भविष्य के मिशन के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है।

    कितने दिन चांद पर रहेगा लैंडर
    चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक चांग’ई-6 अपोलो बेसिन नाम के एक इंपैक्ट क्रेटर के अंदर लैंड हुआ। यह लगभग 2500 किमी व्यास वाले दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन में स्थित है। इसने 20 दिनों तक चंद्रमा की परिक्रमा की थी, जो चार भागों से बना है। एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक असेंडर और एक रीएंट्री मॉड्यूल। चीन के इस मिशन का लक्ष्य 2 किग्रा चांद की धूल और चट्टान लाना है। अब बेसिन से चट्टान निकालने के लिए लैंडर एक ड्रिल और यांत्रिक हाथ का उपयोग करेगा। चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर लैंडर 2 दिन बिताएगा। नमूने इकट्ठा करने में 14 घंटे लगेंगे।

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