बीजिंग: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे तनाव में मौका देख रहे चीन ने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर उसने ताइवान की आजादी का समर्थन किया तो दोनों महाशक्तियों के बीच सैन्य संघर्ष हो सकता है। दक्षिण चीन सागर में तनावपूर्ण माहौल के बीच अमेरिका में चीन के राजदूत किन गांग ने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि ताइवान चीन और अमेरिका के बीच सबसे विस्फोटक मुद्दा है।
गांग ने कहा कि ताइवान के अधिकारी अगर लगातार स्वतंत्रता की राह पर बढ़ते हैं तो इस बात की पूरी आंशका है कि अमेरिका और चीन की सेनाओं में संघर्ष हो सकता है। उधर चीन की इस धमकी पर अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि वह अभी भी ‘एक चीन’ की नीति और अमेरिका ताइवान संबंध कानून पर कायम है। अमेरिका लंबे समय से ताइवान की बजाय चीन को मान्यता देता रहा है लेकिन ताइवान संबंध कानून के तहत वह ताइपे की खुद की रक्षा करने में भी मदद करता रहा है।
ताइवान पर बलपूर्वक प्रयास किया जाता है तो करारा जवाब देंगे: अमेरिका
पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम ताइवान को अपनी रक्षा करने के लिए जरूरी क्षमता मुहैया कराते रहेंगे। साथ अपनी क्षमता को भी बनाए रखेंगे ताकि ताइवान के लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अगर बलपूर्वक प्रयास किया जाता है तो उसका करारा जवाब दिया जा सके।’ इससे पहले चीन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स ने भी धमकी दी थी कि ताइवान को बचाने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजा गया तो चीनी सैनिक उनपर भी गोली चलाने से नहीं हिचकेंगे।
बता दें कि छोटा सा देश ताइवान ‘ड्रैगन’ की हर हरकत का बढ़-चढ़कर जवाब दे रहा है। ताइवान को खुले तौर पर अमेरिका और जापान का समर्थन मिल रहा है। हाल ही में आई एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जापान और अमेरिका के सशस्त्र बलों ने ताइवान में संभावित इमरजेंसी के लिए एक ज्वाइंट ऑपरेशन का ड्राफ्ट प्लान तैयार किया है।
चीन लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है। चीन ने बीते दो सालों में अपने संप्रभुता के दावों पर जोर देने के लिए सैन्य और राजनयिक दबाव बढ़ा दिया है। चीन के इस रवैये ने ताइपे में गुस्सा और वाशिंगटन में गहरी चिंता पैदा कर दी है। ताइवान की सरकार का कहना है कि वह शांति की पक्षधर है लेकिन जरूरत पड़ने पर वह अपना बचाव करेगी।
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