नई दिल्ली । पाकिस्तान (Pakistan) का दोस्त है चीन (China). कम से कम चीन के काम तो यही दिखाते हैं. लेकिन ये सच नहीं है. पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ (flood) की वजह चीन है. चीन के विकास कार्यों की वजह से पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन (Climate change) तेजी से हो रहा है. चीन कई सारे विकास कार्य कर रहा है. पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा, गिलगिट-बाल्टिस्तान, पंजाब, बलूचिस्तान, सिंध और पाक अधिकृत कश्मीर. इन प्रोजेक्ट को चीन और पाकिस्तान ने नाम दिया है चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (China Pakistan Economic Corridor – CPEC).
पाक अधिकृत कश्मीर (POK), गिलगिट-बाल्टिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा ये तीनों बहुत ऊंचाई पर है. अधिकतम ऊंचाई 8469 मीटर यानी 27,785 फीट है. चीन गिलगिट-बाल्टिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा में चार सड़कें बनवा रहा है. गिलगिट के खुंजरेब में रेलवे लाइन बिछा रहा है. कुल मिलाकर पांच रेलवे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. इसके अलावा कई बांध बनवाएं हैं. जिनमें से कुछ पाक-अधिकृत कश्मीर, गिलगिट-बाल्टिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में मौजूद हैं.
पाकिस्तान में कितना नुकसान, पहले जानिए उनके आंकड़े
पाकिस्तान डिजास्टर मैनेजमेंट ने बाढ़ की वजह से जो नुकसान के आंकड़ें बताए हैं. वो भयावह हैं. 1350 लोगों की मौत हो गई. 5 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं. 90 लाख मवेशियों की जान चली गई. 10 लाख घर बह गए. 40 से ज्यादा जलस्रोत यानी बाढ़, तालाब, नदियां उफन रही हैं. 220 से ज्यादा ब्रिज, पुल नदियों में टूटकर बह गए. 90 फीसदी फसल खराब हो गई. देश का एक तिहाई हिस्सा पानी में डूबा है. 10 बिलियन डॉलर्स यानी करीब 80 हजार करोड़ रुपये का नुकसान पाकिस्तान झेल चुका है. ऐसी आफत का जिम्मेदार कौन है?
चीन के पावर प्रोजेक्ट, पहाड़ों पर सड़कें और रेल लाइनें
ज्यादातर हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट और बिजली उत्पादन करने वाले यूनिट्स कोयले से चलते हैं. जिसकी वजह से हो रहे प्रदूषण से पहाड़ों पर वातावरण बिगड़ रहा है. तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. इससे पहाड़ों पर नुकसान पहुंच रहा है. पाक अधिकृत कश्मीर (POK), गिलगिट-बाल्टिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा पूरे के पूरे पहाड़ी इलाके हैं. काराकोरम रेंज हैं यहां पर. इस रेंज समेत पूरे पाकिस्तान के ऊपरी इलाके में 7200 से ज्यादा ग्लेशियर्स हैं. चीन के कार्यों की वजह से बढ़ रहे तापमान से ग्लेशियर पिघल रहे हैं. ये मॉनसूनी बारिश में और ज्यादा खतरा बढ़ा रहे हैं.
ज्यादा मौतों के पीछे की वजह क्या है? चीन या जलवायु
पाकिस्तान में बाढ़ और फ्लैश फ्लड की वजह से करीब 1350 लोग मारे गए हैं. इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग्स के क्लाइमेट रिस्क और रीसिलिएंस की एसोसिएट प्रोफेसेर डॉ. लिज स्टीफेन्स ने कहा कि पाकिस्तान की इस तरह की बाढ़ की आशंका सदी में एक बार होती है. यह एक्सट्रीम फ्लडिंग है. पाकिस्तान में मौतों की दो सबसे बड़ी वजहें ये हैं कि देश के ऊपरी इलाकों से आने वाली फ्लैश फ्लड और घटिया निर्माण वाले नदियों के किनारे. आपने देखा होगा कि जब तेज गति से पानी आता है तो नदियों के किनारे बने घर, सड़कें, रेल लाइन आदि सब टूट जाते हैं. पाकिस्तान में तो ज्यादातर चीजों का निर्माण चीन कर रहा है.
22 हजार बांध बनाकर चीन खुद को नहीं बचा पाया, तो…
प्रो. लिज ने कहा कि फ्लैश फ्लड का अंदाजा लगाना फिलहाल दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक संस्था के बस का नहीं है. इनकी भविष्यवाणी बहुत मुश्किल है. इसलिए नदी किनारे मौजूद लोगों को बचा पाना मुश्किल है. चीन ने अपने देश में 22 हजार से ज्यादा बांध बनाए हैं लेकिन वहां भी हर साल भयानक बाढ़ आती है. फ्लैश फ्लड की घटनाएं होती हैं. चीन जब अपने देश में इन प्राकृतिक आपदाओं को नहीं रोक पा रहा है, तो वह पाकिस्तान में किस तरह से मदद कर पाएगा.
सड़कें-रेल लाइनों के लिए काटे जंगल तो मुसीबत तय है
प्रो. लिज स्टीफेन्स ने कहा कि पाकिस्तान के ऊपरी इलाकों में जंगलों की कमी है. सूखे-रूखे पहाड़ हैं. उस पर चीन के काम चल रहे हैं. नीचे के इलाकों में जहां कहीं भी जंगल और पेड़-पौधे हैं, उन जगहों पर विकास कार्य चल रहे हैं. तेजी से नीचे आते हुए पानी के बहाव को जंगल रोकते हैं. लेकिन अगर इन जगंलों को रेल लाइन, सड़क या किसी अन्य प्रोजेक्ट के लिए काट दिया जाए तो पानी सीधे निचले इलाकों में बहता हुआ आता है. यही स्थिति काबुल नदी के साथ हुआ है. जिसके बाढ़ में ऊपर से आती हुई सिंध नदी से सपोर्ट कर दिया.
मौसम के मामले में PAK दुनिया का 8वां सबसे रिस्की देश
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं को लेकर पाकिस्तान दुनिया का आठवां सबसे रिस्की देश है. अगर किसी भी तरह के जलवायु आपातकाल की स्थिति बनती है तो पाकिस्तान की आबादी को बुरी तरह से जूझना होगा. पाकिस्तान हर गर्मी के मौसम में मार्च से मई तक जलता-भुनता रहता है. इसके ठीक पीछे आती है मॉनसूनी तबाही. इससे पाकिस्तान की रीढ़ की हड्डी टूट जाती है. अरबों-खरबों का नुकसान हो जाता है.
चीन मदद के नाम पर कर रहा है PAK से धोखा
चीन को पाकिस्तान अपना बढ़िया दोस्त मानता है. पाकिस्तान में काम कर रही चीनी कंपिनयां CPEC से अरबों रुपया कमा रही हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई टिकाऊ काम या मदद नहीं करती. इस साल जून में पाकिस्तान के इस्लाम खबर नाम के मीडिया संस्थान ने खबर छापी थी कि चीन की कंपनियों की वजह से पाकिस्तान की आर्थिक हालत और खराब होती जा रही है. चीन की दो दर्जन कंपनियां या अन्य स्वतंत्र पावर प्रोजेक्ट बिजली उत्पादन ठप करने की धमकी देते हैं. कहते हैं कि पहले पुराना सारा बकाया दो तब बिजली सप्लाई होगी. पाकिस्तान को तब 3000 करोड़ पाकिस्तानी रुपये देने पड़े थे.
पूरे पाकिस्तान पर चीनी कंपनियों का कब्जा
CPEC के अंतर्गत 30 से ज्यादा कंपनियां काम कर रही है. ये अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर लगी हुई है. जैसे- संचार लाइन, रेल लाइन, सड़क, हाईवे, ऊर्जा आदि. चीन ने पाकिस्तान के ऊपर से लेकर नीचे तक यानी उत्तर से दक्षिण तक अपना कब्जा जमा लिया है. ताकि सीपेक जरिए व्यापार बढ़ा सकें. असल में वह भारत पर नजर रखने के लिए पाकिस्तान को अपना गुलाम बना रहा है. लगभग बना ही चुका है. अगर CPEC के प्रोजेक्ट्स का नक्शा देखेंगे तो पूरा पाकिस्तान इस कॉरीडोर की गिरफ्त में दिखाई देगा.
चीन के नकली बारिश से बढ़ गई आपदा… ये भी आरोप!
ट्विटर पर कुछ लोग चीन द्वारा कराए गए नकली बारिश यानी क्लाउड सीडिंग को भी पाकिस्तान की आपदा के लिए जिम्मेदार मान रहे हैं. चीन को मेटियोरोलॉजिकल एडमिनिस्ट्रेशन ने 27 अगस्त 2022 को बारिश बढ़ाने के लिए दानजियांगकोऊ रिजवॉयर के ऊपर तीन विमान उड़ाए थे. यह इलाका दक्षिण-पश्चिम वॉटर ट्रांसफर प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ है.
#China Meteorological Administration on Sat dispatched 3 aircraft to Danjiangkou Reservoir to conduct #artificial #rain enhancement, marking the first time the CMA has deployed aircraft to raise rainfall under the South–North Water Transfer Project. #Drought2022 #Heatwave2022 pic.twitter.com/80hetLz0xA
— libijian李碧建 (@libijian2) August 28, 2022
लगातार पिघलते ग्लेशियरों से खतरा बढ़ जा रहा है
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से दुनिया का औसत तापमान करीब एक डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. पाकिस्तान समेत कई एशियाई देशों में इस तापमान में करीब 5 प्रतिशत ज्यादा की वृद्धि हुई है. तापमान बढ़ने और समुद्र के नजदीक होने की वजह से गर्म हवाएं हिमालय से टकराती रहती है. साथ ही चीन के द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों से हो रहा प्रदूषण इस काम को और बढ़ा रहा है. पाकिस्तान के क्लाइमेट मंत्री शेरी रहमान ने माना है कि उनके देश में ध्रुवीय इलाकों को छोड़कर सबसे ज्यादा ग्लेशियर हैं. हम उन्हें पिघलता देख रहे हैं.
पिछले साल की स्टडी में किया गया था खुलासा
पाकिस्तान के हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की गति काफी ज्यादा है. पिछले साल आई एक स्टडी के मुताबिक पाकिस्तान पिघलते हुए ग्लेशियरों का हॉटस्पॉट है. स्टडी करने वाले प्रमुख वैज्ञानिक जोनाथन कैरिविक ने कहा कि हिमालय के ग्लेशियर बाकी दुनिया की तुलना में दस गुना ज्यादा गति से पिघल रहे हैं. बारिश के समय ये फ्लैश फ्लड और पानी का लेवल बढ़ाने में मदद करते हैं. जिसकी वजह से पाकिस्तान के ऊपर से निकला पानी दक्षिणी इलाकों तक तबाही मचाता हुआ चला जाता है.
औसत से कई गुना ज्यादा बारिश ने बढ़ाई मुसीबत
पाकिस्तान उन देशों में शामिल है जो जलवायु परिवर्तन की वजह से परेशान हो रहे हैं. जैसे-जैसे धरती का तापमान बढ़ता जाएगा, पाकिस्तान की मुसीबतें बढ़ती जाएंगी. क्योंकि यहां हिमालय से टकराकर समुद्री हवाएं स्थानीय मॉनसून को और मजबूत बना देती हैं. पाकिस्तान में मॉनसून भारत की तुलना में कम समय के लिए होता है. लेकिन गर्म समुद्री हवाओं की वजह से बारिश ज्यादा होती है. पाकिस्तान में औसत बारिश 130 मिलिमीटर होती है. इस बार वहां पर 385 मिलिमीटर बारिश हुई. सिंध प्रांत में 784 प्रतिशत, बलूचिस्तान में 522 फीसदी, गिलगिट बाल्टिस्तान में 225 फीसदी, पंजाब में 62 फीसदी और खैबर पख्तूनख्वा में 54 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है.
Pakistan's devastating floods:
– 1350 people killed
– 50M people displaced
– 900K livestock deaths
– 1M houses washed away
– 40+ reservoirs breached
– 220+ bridges collapsed
– 90% cropped damaged
– $10B loss to economy
– 1/3 country underwaterSource – PDMA / NDMA pic.twitter.com/TG6jnL8zZQ
— South Asia Index (@SouthAsiaIndex) August 29, 2022
2022 की बारिश 2010 की तुलना में ज्यादा भयावह
क्लाइमेट मंत्री शेरी रहमान ने कहा कि पाकिस्तान में लगातार आठ हफ्तों तक बिना रुके बारिश हुई है. इसकी वजह से प्रलय जैसी नौबत आ गई है. पूरा देश पानी में डूबा हुआ है. ये तो मॉनस्टर मॉनसून है. सिंध प्रांत में औसत बारिश से 9 गुना ज्यादा बारिश हुई है. यह बारिश साल 2010 से ज्यादा भयावह है. वैश्विक गर्मी (Global Warming) की वजह से पाकिस्तान में सुपरफ्लड की स्थिति आ रही है. गर्म समुद्र और आर्कटिक का बढ़ता तापमान भी पाकिस्तान के मौसम पर बुरा असर डालता है. रूस, यूरोप और चीन में सूखा रहता है, तब भी पाकिस्तान में ये हालत होती है. क्योंकि गर्म हवाएं हिमालय से टकराकर स्थानीय स्तर पर कहर बरपाने लगती हैं.
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