मॉस्को। लद्दाख में भारत से मुंह की खा चुका चीन अब सीमा पर शांति का राग अलाप रहा है। चीन भारत से बातचीत के लिए कितना बेताब है इसका पता शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान ही लग गया था। इस बैठक से इतर जाकर चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही ने मिन्नतें कर अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी। अब इसी संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है, जिसमें भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर हिस्सा लेंगे।
शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी रूस की राजधानी मास्को पहुंच गए हैं। ऐसी संभावना है कि इस बैठक से अलग वे भी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत करेंगे। दोनों नेता इस द्विपक्षीय बातचीत के दौरान लद्दाख में जारी तनाव को लेकर कुछ बड़े फैसले ले सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीनी समकक्ष वांग यी के साथ 10 सितंबर को मुलाकात होने की संभावना है। जयशंकर भारतीय विदेश मंत्रालय के चीन डेस्क के अधिकारियों के साथ मंगलवार को मॉस्को पहुंचेंगे। विदेशी मंत्रियों की बहुप्रतीक्षित बैठक में 1993 के बाद से द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने पर जोर दिया जा सकता है।
बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर अपने चीनी समकक्ष को 3488 किमी एलएसी (भारत चीन सीमा) पर न्यूनतम संख्या में सैनिकों को रखने और द्विपक्षीय समझौतों को लागू करने की याद दिलाएंगे। वे यह भी मांग करेंगे कि चीनी सेना गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में पहले की स्थिति को बहाल करे और पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे से भी तत्काल पीछे हटे।
केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना ने सामरिक क्षेत्र में भी चीन को कड़ा सबक सिखाया है। लद्दाख में सीमा विवाद को बढ़ाकर पैंगोंग इलाके में अवैध कब्जा किए चीन को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना ने कई महत्वपूर्ण चोटियों पर अपनी पकड़ को मजबूत बना लिया है। पैंगोंग के दक्षिणी इलाके में स्थित ब्लैक टॉप और उसके आसपास के महत्वपूर्ण रणनीतिक पोस्ट पर भारतीय सेना जमी हुई है। इससे न केवल चीन का घमंड टूटा है बल्कि वह बातचीत की मेज पर भी पहले से ज्यादा नरम हुआ है।
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