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कोविड नीति में ढील देने से चीन में संक्रमण के वास्तविक मामले जानना हुआ ‘असंभव’, डब्ल्यूएचओ ने मांगा डाटा

December 15, 2022

बीजिंग । चीन (China) ने बुधवार से शुरू होने वाली अपनी दैनिक कोविड-19 रिपोर्ट (covid-19 report) को कम कर दिया है जबकि दैनिक मामले रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। दरअसल, शून्य-कोविड नीति के खिलाफ देशभर में हुए प्रदर्शनों से दबाव के चलते चीन सरकार (Chinese government) ने वायरस-रोधी उपायों में ढील देने के बाद पीसीआर परीक्षणों (PCR tests) में भारी गिरावट ला दी। इसके बाद देश में संक्रमण मामलों की संख्या पर दैनिक आंकड़े प्रकाशित करना बंद कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ ने डाटा साझा करने को कहा
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस ने बुधवार को चीन से वायरस की उत्पत्ति को समझने के लिए कोविड -19 से संबंधित अनुरोधित डाटा साझा करने को कहा है। संगठन की वेबसाइट पर एक बयान में डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, हम चीन से डेटा साझा करने और इस वायरस की उत्पत्ति को बेहतर ढंग से समझने के लिए अनुरोध किए गए अध्ययनों का संचालन करने के लिए कहते हैं।


चीन के वुहान में इसके उद्भव के तीन साल बाद कैसे कोविड (SARS-CoV-2) पहली बार एक श्वसन रोग के रूप में उभरा, जो इंसान से इंसान के बीच संचरण में सक्षम था, यह अभी भी सक्रिय बहस का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों ने वायरस की उत्पत्ति पर दो प्रमुख सिद्धांतों को सामने रखा है। पहला सिद्धांत यह है कि SARS-CoV-2 एक प्राकृतिक जूनोटिक स्पिलओवर का परिणाम है। दूसरा सिद्धांत यह है कि वायरस ने एक शोध से जुड़ी घटना के बाद मनुष्यों को संक्रमित किया।

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले साल किसी बिंदु पर हम यह कहने में सक्षम होंगे कि कोविड -19 अब वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है। उन्होंने याद किया कि एक साल पहले ओमिक्रॉन वेरिएंट का संक्रमण भी शुरू हो गया था। उस समय कोविड-19 हर हफ्ते 50,000 लोगों को मार रहा था। पिछले हफ्ते वैश्विक स्तर पर 10,000 से कम लोगों ने अपनी जान गंवाई। अभी भी 10,000 बहुत अधिक है।

संक्रमण का वास्तविक स्तर जानना ”असंभव” हो गया है
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बुधवार को कहा कि अब दैनिक रिपोर्ट में संक्रमण के मामले घटते दिख रहे हैं लेकिन वास्तव में यह संख्या लगातार बढ़ रही है। चीनी प्रमुख स्वास्थ्य संस्था ने कहा कि अब संक्रमण का वास्तविक स्तर जानना ”असंभव” हो गया है। आयोग ने कहा, यह चीन के लिए गंभीर चुनौती बनने जा रही है, क्योंकि शून्य-कोविड नीति में ढील दे दी गई है। अब अस्पतालों में भी भीड़भाड़ नहीं दिख रही, क्योंकि हल्के लक्षण वालों को घर पर ही ठीक होने की अनुमति मिल गई है। ऐसे में संक्रमण की असली संख्या का अनुमान लगाना और भी कठिन हो गया है। जबकि देखने में आ रहा है कि बीजिंग की सड़कें भले ही शांत हो गई हों लेकिन क्लीनिकों पर बुखार के रोगियों की कतारें बढ़ी हुई हैं। यह संख्या औसतन 94 से बढ़कर 303 हो गई है। फार्मेसियों में ठंड और फ्लू की दवाएं मिलना मुश्किल हो गया है। एक बड़े प्रकोप की आशंका के बावजूद, रोगी संख्या में वृद्धि के बहुत कम प्रमाण हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य केंद्र ने कहा, बिना लक्षण वाले लोग अब कोरोना परीक्षण नहीं करा रहे हैं, इसलिए संक्रमण दुगनी रफ्तार से फैल सकता है।

चीनी संदेश : कोविड से युद्ध के बजाय आत्म-देखभाल पर ध्यान दें
चीन के उप प्रधानमंत्री और कोविड-19 पर चीन के युद्ध प्रभारी सन चुनलान ने कहा है कि संक्रमण को शून्य तक लाना होगा। उन्होंने कहा, चीन ने एक झटके में अपनी दमघोंटू शून्य-कोविड नीतियों को नियंत्रित कर लिया है। इस कारण महामारी पर युद्ध को प्रभावी रूप से खत्म कर दिया गया है। जबकि ओमिक्रॉन का प्रसार जारी है। ऐसे में लोगों को शिक्षित करने और आत्म-देखभाल को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

बड़े अस्पतालों में बुखार के 14,000 क्लीनिक
चीन ने 14 दिसंबर तक बड़े अस्पतालों में 14,000 बुखार के क्लीनिक खोले हैं जबकि सामुदायिक अस्पतालों में इनकी संख्या 33,000 है। स्वास्थ्य आयोग ने बुधवार को कहा कि अब तक 92.73 प्रतिशत लोगों ने कोविड-19 का टीका लगवाया है। जबकि 90.37 फीसदी लोगों ने टीकाकरण का कोर्स पूरा किया है।

अराजकता से हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश कर रही फॉक्सकॉन
चीन में एपल के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन को अपने झेंग्झाउ संयंत्र में पिछले दो माह में कई बार अराजकता का सामना करना पड़ा। यहां दुनिया का सबसे बड़ा आईफोन बनाने का कारखाना है। यह फैक्टरी नवंबर से कर्मचारियों के हिंसक विरोध का सामना कर रही है। इसे चीन द्वारा कोरोना प्रबंधन के लिए अपनाए गए बर्बर तरीकों से डरकर कई कर्मचारी छोड़कर जा चुके हैं। अब संयंत्र को एक लाख से ज्यादा आवेदन मिले हैं। पुराने कर्मचारियों का विरोध उन्हें भर्ती के दौरान किए गए वादों से मुकरना भी रहा। एपल को आईफोन की बिक्री में प्रति सप्ताह करीब एक अरब का नुकसान हुआ, जिसकी अब भरपाई की कोशिश की जा रही है।

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