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PM मोदी के इस मास्‍टर स्‍ट्रोक से बैकफुट पर आया चीन, विदेश मंत्रालय देने लगा सफाई

September 11, 2024

नई दिल्‍ली: रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच जंग (war) को ढ़ाई साल बीत चुका है. पहले रूस यूक्रेन पर हावी थी, अब यूक्रेन ने भी जंग में आक्रामकता दिखाना शुरू कर दिया है. दोनों ही देश लंबे वक्‍त से चले आ रहे इस युद्ध से थक चुके हैं. ऐसे में पुतिन और जेलेंसकी (Putin and Zelensky) दोनों ही बिना अपनी नाक नीचे किए युद्ध को खत्‍म करना चाहते हैं. रूसी राष्‍ट्रपति ने हाल ही में यह बयान दिया कि युद्ध का अंत करने में भारत और चीन जैसे देश बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. पीएम मोदी ने इस घटनाक्रम के तुरंत बाद एक मास्‍टरस्‍ट्रोक चला. राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को रूस के दौरे पर भेजा गया.

पीएम मोदी ने बीते दो महीनों में रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया है. दोनों देशों के नेताओं को प्रधानमंत्री यह साफ कर चुके हैं कि युद्ध किसी समस्‍या का हल नहीं है. शांति का संदेश देने वाले प्रधानंमंत्री ने रूस के राष्‍ट्रपति के ताजा बयान के बाद बिना देरी किए अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाते हुए NSA अजित डोभाल को मॉस्‍को की यात्रा पर भेजा. भारत की मजबूत कूटनीति के सामने चीन कहीं पिछड़ता हुआ नजर आया. यही वजह है कि अब चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से इस मुद्दे पर सफाई सामने आई है. अब चीन भी युद्ध को खत्‍म कराने के लिए आगे आने की बात कह रहा है.


पुतिन के बयान पर चीन ने शायद ज्‍यादा गौर नहीं किया हो. जब इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी ने पुतिन की बात को दोहराया कि भारत और चीन जैसे देश रूस-यूक्रेन संकट को खत्‍म करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं, तब जाकर ड्रैगन की नींद टूटी. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मंगलवार को कहा कि चीनी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि युद्ध खत्‍म होना चाहिए. यूक्रेन मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट है. चीन हमेशा से मानता रहा है कि दुश्‍मनी को जल्द से जल्द खत्‍म कर राजनीतिक समाधान की तलाश करना सभी पक्षों के हित में है. चीन का मानना ​​है कि यूक्रेन संकट से बाहर निकलने का एकमात्र तरीका बातचीत और वार्ता है.

चीन के विदेश मंत्रालय का यह बयान महज एक खानापूर्ति से ज्‍यादा कुछ और नहीं लगता. ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि भले ही चीन और रूस के बीच अच्‍छे संबंध हों लेकिन चीन और यूक्रेन के करीबी रिश्‍ते नहीं हैं. भारत और रूस की दोस्‍ती तो जगजाहिर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते महीने यूक्रेन का दौरा करने वाले पहले भारतीय पीएम बने थे. दोनों देशों से करीबी के कारण भारत के पास जो एडवांटेज है, चीन उससे कोसों दूर है. इस बात की संभावना प्रबल है कि अजित डोभाल जल्‍द ही यूक्रेन का दौरान भी कर शांति वार्ता को आगे बढ़ाएं.

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