बीजिंग: गलवान (Galwan) में भारतीय सैनिकों (indian soldiers) से तगड़ा जवाब पाने के बाद से ही चीन (China) पूर्वी लद्दाख (Ladakh) और पश्चिमी तिब्बत में अपना सैन्य ढांचा मजबूत करने में जुटा हुआ है। इस बीच उसने पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso lake) पर अपने कब्जे वाले क्षेत्र में पुल बना लिया है। हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि इसी महीने पुल का निर्माण पूरा हुआ है। इस पुल के बनने से चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों की आवाजाही आसान हो जाएगी। साल 2022 में पहली बार सामने आया था कि चीनी सेना पैंगोंग त्सो झील के सबसे संकरे इलाके खुर्नाक में एक पुल का निर्माण कर रही है। बाद में पता चला था कि यह सर्विस पुल था, जिसका इस्तेमाल एक बड़ पुल को बनाने के लिए किया जा रहा था।
सैटेलाइट तस्वीरों के विशेषज्ञ डेमियन साइमन ने चीनी ढांचे की ताजा तस्वीरें अपने एक्स हैंडल (Detresfa_) पर साझा की है। उन्होंने बताया तस्वीरों से संकेत मिलता है कि नया पुलकर उपयोग के लिए बनकर लगभग तैयार है। इसकी सतह पर हाल ही में डामर बिछाई गई है। उन्होंने आगे कहा कि यह पुल क्षेत्र में चीनी सेना की गतिशीलता को बढ़ाता है, जिससे संघर्ष क्षेत्रों और झील के आसपास भारतीय ठिकानों तक जल्दी पहुंच मिलती है।
टैंकों के साथ जा सकेंगे चीनी सैनिक
इस पुल पर चीनी सैनिक टैंकों के साथ जा सकेंगे, जो उन्हें रेजांग ला जैसे दक्षिणी किनारे के क्षेत्रों तक पहुंचने में मदद करेगा। ये वही इलाका है, जहां 2020 में भारतीय सैनिकों से चीनियों ने मुंह की खाई थी। इस पुल के बनने से चीनी सेना के लिए पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे के फिंगर क्षेत्रों तक पहुंच के लिए 180 किमी की दूरी कम हो जाएगी। इसके पहले पीएलए को रुतोंग काउंटी के माध्यम से खुर्नक के दक्षिणी किनारों से होते हुए आना पड़ता था। यह पुल चीनियों को भारी युद्धक उपकरण लाने की क्षमता मुहैया कराएगा।
भारत की क्या है तैयारी?
इसके पहले सितम्बर 2020 और 2021 के दौरान जब पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट पर गतिरोध चल रहा था, तब चीन ने ऊंचाई वाले इलाके में भारतीय सैनिकों की नजर से बचने के लिए मोल्डो गैरीसन तक एक नई सड़क का निर्माण किया था। भारत भी चीन का मुकाबला करने के लिए अपना सैन्य ढांचा मजबूत कर रहा है। भारत अपनी तरफ फिंगर 4 की ओर एक सड़क बना रहा है, जिसे उच्च प्राथमिकता वाली परियोजना में रखा गया है। फिंगर 4 तक जाने वाली सड़क भारतीय सेना को सासेर ला के माध्यम से दारबुक-स्क्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड के विकल्प के रूप में जोड़ेगी। एलएसी के भारतीय हिस्से में लगभग 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग त्सो झील दुनिया की सबसे ऊंची खारे पानी की झील है।
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