पेइचिंग। ताइवान को जंगी साजोसामान बेचने पर चीन ने अमेरिका की तीन बड़ी हथियार निर्माता कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंध का ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका की बोइंग डिफेंस, लॉकहीड मॉर्टिन और रेथियॉन अब चीन में कोई व्यापार नहीं कर पाएंगी। इन तीनों कंपनियों के बने हुए हथियारों को ही अमेरिका ने ताइवान को बेचा है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह प्रतिबंध 21 अक्टूबर को ताइवान को 1.8 बिलियन डॉलर के हथियारों को बेचने पर लगाया गया है। इसमें सेंसर, मिसाइल और तोपखाने (ऑर्टिलरी) शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चीन के पास ताइवान को हथियार बेचने वाली कंपनियों को दंडित करन का पूरा अधिकार है।
चीन पहले से ही विदेशी तकनीक की चोरी कर हथियार बनाने के मामने में बदनाम है। उसने कई ऐसे हथियारों को बनाया है जो दूसरे देशों के तकनीक पर आधारित हैं। जैसे- चीन का चेंगदू जे-10 अमेरिका के एफ-16 लड़ाकू विमान की कॉपी है। वहीं, चीन का जे-20 स्टील्थ विमान अमेरिका के एफ-35 की कॉपी कर बनाया गया है। इतना ही नहीं, चीन ने रूस से भी कई जहाजों के मॉडल चुराए हैं। इसमें मिग-21 की कॉपी चेंगदू जे-7 शामिल है।
पहले से दे रहा था कार्रवाई की धमकी
चीन पहले से ही अमेरिका को हथियारों को बेचने पर कार्रवाई करने की धमकी दे रहा था। हालांकि उसने पहले कभी नहीं बताया था कि वह किस प्रकार की कार्रवाई करेगा। फिर भी सैन्य जानकारों का मानना था कि चीन भूलकर भी अमेरिका के साथ जंग की सोच भी नहीं सकता है। ऐसे में वह आर्थिक प्रतिबंध की तरफ जाएगा। चीन ने कहा था कि हथियारों की इस डील से अमेरिका और उनके सशस्त्र बलों के साथ उसके संबंध और खराब हो सकते हैं।
अमेरिका ने 1 अरब डॉलर के हथियारों की डील मंजूर की
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को घोषणा की कि उसने ताइवान को उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए 135 टारगेटेड ग्राउंड अटैक मिसाइल, सैन्य उपकरण और प्रशिक्षण संबंधी चीजों की बिक्री को हरी झंडी दे दी है। विभाग ने एक बयान में कहा था है कि यह सौदा एक अरब डॉलर से अधिक का है। बताया जा रहा है कि इन मिसाइलों को बोइंग ने बनाया है।
इस डील में ताइवान को एफ- 16 फाइटर जेट के लिए एडवांस सेंसर, समुद्र में दुश्मन के युद्धपोतों को बर्बाद करने के लिए सुपरसोनिक लो एल्टिट्यूड मिसाइल और हैमर्स रॉकेट दिए जाएंगे। पिछले साल ही अमेरिका ने ताइवान को 66 एफ-16 लड़ाकू विमान देने की डील की थी। साल 2020 में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ताइवान को लेकर बेहद आक्रामक रुख अख्तियार कर रहा है और इन हथियारों की बिक्री से चीन के साथ उसके संबंध बेहद निचले स्तर तक पहुंच जाएंगे।
ताइवान को डर सता रहा है कि अगर ट्रंप हार गए तो बाइडन इतने घातक हथियार शायद ही ताइपे को दें। इसीलिए ताइवान जल्द से जल्द इन हथियारों की आपूर्ति चाहता है। चीन लगातार ताइवान स्ट्रेट के पास युद्धाभ्यास कर रहा है जिससे ताइवान का डर और बढ़ता जा रहा है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ताइवान रक्षा पर काफी खर्च कर रहा है लेकिन उसे आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है।
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