डेस्क: चीन ने 3 दशक बाद चीनी बच्चों को विदेशों में गोद लेने पर रोक लगा दी है. करीब 32 साल पहले 1992 में चीन ने पहली बार चीनी बच्चों विदेशी नागरिकों को गोद देने की प्रक्रिया शुरू की थी. तब से अब तक करीब 1 लाख 60 हज़ार चीनी बच्चे दुनियाभर में गोद लिए जा चुके हैं.
लेकिन लगातार घटती आबादी की वजह से जिनपिंग सरकार परेशान है. बीते 2 साल से चीन में लगातार जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है, साथ ही चीन में दुनिया भर में सबसे कम जन्म दर है. यही वजह है कि सरकार युवाओं को शादी और बच्चे करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. इसी के चलते जिनपिंग सरकार ने यह कदम उठाया है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए कहा है कि सरकार ने ‘क्रॉस बॉर्डर अडॉप्शन पॉलिसी’ पर फिलहाल रोक लगा दी है. उन्होंने कहा कि “हम उन परिवारों और उनके देश की सरकार को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने चीनी बच्चों को अच्छी परवरिश और प्यार देने के लिए एक अच्छे उद्देश्य से गोद लेने की इच्छा जताई है.” हालांकि चीन की सरकार ने फिलहास यह स्पष्ट नहीं किया है कि जिन परिवारों की ओर से गोद लेने की प्रक्रिया पहले से चल रही है उनका क्या होगा?
चीन ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए साल 1979 से 2015 तक सख्ती से वन चाइल्ड पॉलिसी लागू की थी. इसके तहत परिवारों को सिर्फ एक बच्चा पैदा करने या एक बच्चा रखने की अनुमति होती थी. ज्यादातर लोगों ने भविष्य में देखभाल के लिए लड़कों को अपने पास रखा और लड़कियों को दूसरे परिवारों को गोद दे दिया. चीन से गोद लिए गए 1 लाख 60 हज़ार बच्चों में से 50 फीसदी से भी ज्यादा करीब 82 हज़ार बच्चों को अमेरिका में गोद लिया गया है, इन गोद लिए गए बच्चों में लड़कियों की संख्या ज्यादा थी.
साल 2015 में चीन ने अपनी वन चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव करते हुए परिवारों को 2 बच्चों की अनुमति दी, इसके बाद साल 2021 में इसे 2 से बढ़ाकर 3 कर दिया गया. बच्चों को लेकर नीति में बदलाव के साथ-साथ सरकार ने कई और प्रयास भी किए जैसे कि ज्यादा बच्चे करने पर परिवारों को आर्थिक सहायता देना, लेकिन बताया जाता है कि सरकार की ओर से किए इन प्रयासों का कोई खास असर नहीं हुआ.
चीन में लोग ज्यादा बच्चे करने से कतरा रहे हैं, पहले यह सरकार के दबाव की वजह से होता था लेकिन अब इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे बड़ी वजह है-महंगाई. चीन के शहरों में रहन-सहन और शिक्षा काफी महंगी है, वहीं प्रॉपर्टी के दाम भी आसमान छू रहे हैं, जिसके चलते लोग परिवार बढ़ाने से डरते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के शहरों में स्थिर वेतन, नौकरी के सीमित अवसर और काम के अधिक घंटों की वजह से एक बच्चे को पालना बेहद महंगा और मुश्किल हो रहा है, ऐसे में लोग 3 बच्चों का तो सोच भी नहीं सकते.
इसके अलावा चीन में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में ज्यादा पढ़ी लिखी हैं, वह आर्थिक तौर पर भी पुरुषों से ज्यादा सक्षम हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन में महिलाओं को अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ता है, साथ ही कई कंपनियां मैटरनिटी लीव (मातृत्व छुट्टी) के दौरान सैलरी देने से भी कतराती हैं, लिहाज़ा वह बच्चों की वजह से अपने करियर से समझौता नहीं करना चाहती हैं.
चीन की आबादी तेज़ी से कम हो रही है और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. चीन में फिल्हाल 15 से 64 साल की उम्र के लोगों की 73 फीसदी आबादी है, वहीं 15 साल से कम उम्र की जनसंख्या महज़ 18 फीसदी है. यानी आने वाले समय में चीन को युवा आबादी की कमी का सामना करना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि 2040 तक चीन की एक चौथाई आबादी बूढ़ी (60 वर्ष से अधिक) हो जाएगी, जिससे सरकार पर पेंशन और बुजुर्गों की देखभाल से संबंधित नीतियों पर खर्च का भार बढ़ेगा.
इससे चीन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यबल की कमी होगी जिससे देश के विकास और अर्थव्यवस्था पर खासा असर देखने को मिल सकता है. युवा आबादी और कर्मचारियों की कमी से चीन को कई उत्पादों का आयात करना पड़ सकता है, जो उसके घरेलू उद्योगों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं.
बीते 2 साल से लगातार चीन की जनसंख्या कम हो रही है, घटती जन्म दर और बढ़ती मृत्यु दर चीन के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बनी हुई है. चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक साल 2023 में चीन में 90 लाख बच्चे पैदा हुए, जो 2017 की तुलना में आधे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 2 साल में चीन की जनसंख्या में करीब 30 लाख की कमी हो चुकी है. विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि इस सदी के अंत तक चीन की आबादी घटकर आधी रह जाएगी, जो चीन की सरकार के लिए काफी चिंताजनक है, यही वजह है कि सरकार देश की जनसंख्या बढ़ाने के लिए तमाम तरह की कोशिशें कर रही है.
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