संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में म्यांमार को लेकर पारित हुए प्रस्ताव पर चीन और रूस जैसे देश भारत के साथ खड़े दिखाई दिए। तीनों देशों ने प्रस्ताव से दूरी बना ली। इस दौरान भारत की ओर से स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा, म्यामांर में तत्काल हिंसा को समाप्त करने के लिए आंग सान सू जैसे राजनीतिक कैदियों की रिहाई से लोकतांत्रिक शासन की स्थापना व स्थायी शांति जैसे लंबित मुद्दों के हल होने पर भारत आश्वस्त नहीं है।
बुधवार को यूएनएससी में 74 साल बाद म्यामांर को लेकर प्रस्ताव लाया गया था। इसमें म्यामांर में तत्काल हिंसा को समाप्त करने और म्यांमार की सेना से राष्ट्रपति विन म्यिंट और आंग सान सू की सहित सभी मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए कैदियों को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया गया। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में 12 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं, भारत, चीन व रूस ने इससे दूरी बना ली।
प्रस्ताव से म्यामांर के मुद्दों का समाधान नहीं
कंबोज ने कहा, म्यांमार के पड़ोसी देश के रूप में, हम अभी भी इस प्रस्ताव के प्रभाव के बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि इससे म्यांमार में मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति होगी। उन्होंने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि देश में सभी पार्टियां सभी हिंसा समाप्त करेंगी और संवाद के रास्ते पर लौट आएंगी। उन्होंने आगे कहा, भारत का मानना है कि म्यामांर के लंबित मुद्दों को हल करने के लिए धैर्यपूर्ण कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
1948 में म्यामांर पर लाया गया था एकमात्र प्रस्ताव
74 सालों में म्यामांर पर यूएनएससी का यह दूसरा प्रस्ताव है। इससे पहले म्यांमार पर एकमात्र प्रस्ताव 1948 में लाया था, जिसमें देश को संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता प्रदान करने की सिफारिश की गई थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved