नई दिल्ली (New Delhi)। कहते हैं कि चोर-चोर मौसेरे भाई, यही कहावत पाकिस्तान और चीन (Pakistan and China) पर सही बैठती ये दोनों देश मिलकर किसे चूना लगा दे कहा नहीं जा सकता, लेकिन ऐसा ही हुआ है।
दरअसल, म्यांमार की वायुसेना ने चीन और पाकिस्तान की तरफ से तैयार फाइटर जेट जेएफ-17 को उड़ाने से मना कर दिया है। पांच साल पहले ही म्यांमार को ये जेट चीन से मिले थे और अब इनमें तकनीकी खराबी की बात कही जा रही है। वायुसेना के पूर्व पायलटों की मानें तो ये जेट इतने सक्षम नहीं हैं कि देश की हवाई रक्षा क्षमता को मजबूत कर सकें।
पाकिस्तान और चीन ने मिलकर JF-17 कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तैयार किया था, जिसे म्यांमार को दिया गया था। यह एयरक्राफ्ट खराब हो गया है, जिसकी मेंटनेंस के लिए पाकिस्तान ने अपनी एक टेक्निकल टीम को भेजा है।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच म्यांमार एयर फोर्स के अधिकारी भी पाकिस्तान पहुंचे हैं और इन विमानों के मेंटनेंस के बारे में जानकारी ले रहे हैं। चीन और पाकिस्तान ने मिलकर जेएफ-17 नाम से 11 एयरक्राफ्ट तैयार किए थे, जिन्हें म्यांमार भेजा गया था। म्यांमार सरकार की ओर से आंतरिक विद्रोहियों से निपटने के लिए इन लड़ाकू विमानों का आयात किया गया है। हालांकि इनके खराब होने से उसने झटका लगा है। बता दें कि लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की को जेल भेजे जाने और रोहिंग्या संकट के चलते पश्चिमी देशों ने म्यांमार को हथियारों की सप्लाई करने से इनकार कर दिया है।
इसी के चलते म्यांमार का रक्षा संबंधों के मामले में चीन और पाकिस्तान से रिश्ता गहरा हुआ है, हालांकि इन रक्षा संबंधों को पहली ही डील में करारा झटका लगा है। हालांकि पाकिस्तान और चीन की भारत के पूर्वी पड़ोसी के साथ यह दोस्ती चिंता बढ़ाने वाली भी है। बता दें कि श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल समेत भारत के लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ चीन अपने संबंध मजबूत करने की फिराक में रहा है। इसके पीछे चीन की रणनीति भारत को घेरने की रही है। गौरतलब है कि भारत आंग सान सू की जैसी लोकतंत्र समर्थक नेता का हिमायती रहा है।
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