वाशिंगटन । सुरक्षा के खतरे के मद्दनेजर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के तहत 1000 से अधिक चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं का अमेरिकी वीजा रद कर दिया गया है। जिसके बाद चीन बुरी तरह से तिलमिला उठा है । विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिझियान ने अमेरिका के कदम को राजनीतिक उत्पीड़न और नस्ली भेदभाव बताया है। अब आगे अमेरिका के इस कदम को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताते हुए चीन ने जवाबी कार्रवाई की बात कही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा 10043 के अधीन पाए गए एक हजार से अधिक वीजा निरस्त किए गए हैं। यह आंकड़ा आठ सितंबर 2020 तक का है। फिलहाल अमेरिका में कुल 3,60,000 चीनी नागरिक अध्ययन करते हैं। नि:संदेह यह चीनी छात्र अमेरिकी कॉलेजों के लिए महत्वपूर्ण राजस्व लाते हैं। हालांकि कोरोना महामारी ने अमेरिका में उनकी वापसी को गंभीर रूप से बाधित किया है।
विदेश मंत्रालय के होमलैंड सिक्योरिटी की कार्यकारी प्रमुख चेड वोल्फ ने कहा कि अमेरिका ने चीन के खुफिया विभाग अथवा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े स्नातक छात्रों और शोधार्थियों के वीजा रद करने के महीनों पुराने प्रस्ताव पर विचार करते हुए यह फैसला लिया है। माना जाता है कि ये लोग जासूसी या बौद्धिक संपदा की चोरी जैसे खतरा पैदा कर सकते हैं।
वोल्फ ने कहा कि इसके अतिरिक्त बंधुआ मजदूरों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के विपणन और बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने चीन से मांग की कि वह प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का सम्मान करे। माना जाता है कि उनका इशारा शिनजियांग में बीजिंग द्वारा किए जा रहे मुस्लिम उइगरों के शोषण की तरफ था।
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