नई दिल्ली। आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का एक बार फिर से दोहरा मापदंड सामने आया है। चीन-भारत और रूस के बीच पिछले दिनों हुई वर्चुअल बैठक के प्रेस नोट से चीन ने जैश व लश्कर जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का जिक्र ही हटा दिया। जबकि ये दोनों आतंकी संगठन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित किए गए हैं। अब भारत ने रूस के साथ होने जा रहे सम्मेलन में चीन और पाकिस्तान दोनों को बेनकाब करने की तैयारी कर ली है।
सूत्रों के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के भारत आगमन से पहले भारतीय अधिकारी इस पर रणनीति भी तैयार कर रहे हैं और पाकिस्तान द्वारा संचालित आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने के लिए ठोस रणनीति बनाने की तैयारी में हैं। इसके तहत भारत केंद्रित आतंकी संगठनों को पूरी तरह खत्म करने का मसौदा तैयार किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रूस हमेशा से ही भारत में आंतकी घटनाओं के प्रति चिंतित रहा है। इसलिए दोनों देश इस पर कोई नई रणनीति तैयार कर सकते हैं।
पीएम मोदी की होगी मुलाकात
कार्यक्रम के अनुसार पुतिन करीब छह घंटे भारत में रुकेंगे। सोमवार सुबह उनकी मुलाकात पीएम मोदी से होगी। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अपने समकक्षों से शाम को मुलाकात करेंगे। व्लादिमिर पुतिन के इस दौरे को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कोरोना संक्रमण के बाद वे सिर्फ दो बार ही रूस से बाहर गए हैं। इस दौरान 10 द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद की जा रही है।
अफगानिस्तान और चीन पर होगी चर्चा
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पुतिन और नरेंद्र मोदी के बीच होने जा रही इस मुलाकात में चीन और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी बातचीत संभव है। हालांकि, चीन, रूस और भारत के बीच हुई वर्चुअल बैठक के बाद जो बयान जारी किया गया था, उसमें पाकिस्तान स्थित लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों का जिक्र नहीं किया गया था, जबकि भारत ने इस मुद्दे को उठाया था। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित इन आतंकी संगठनों को तत्काल खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
चीन पर खुल कर बोल चुका है भारत
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में खुलकर बोल चुका है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते हुए भारत ने चीन पर आरोप लगाया था कि वह आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए दोहरे मापदंड अपना रहा है। भारत का कहना है कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के आतंकी संगठनों पर लगाम लगाना बहुत ही जरूरी है।
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