नई दिल्ली: कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर एक हैरान करने वाला वीडियो सामने आया था. इसमें मध्य केरल के एक शहर स्थित एक होटल में छापे के दौरान पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर एक युवती को नशे में जोर-जोर से चिल्लाते हुए देखा गया था. इस घटना की जांच से बाद में पता चला था कि एक वक्त में मेधावी छात्रा रही युवती को मादक पदार्थ के जाल में फंसाया गया और उसका इस्तेमाल मादक पदार्थ की तस्कर के रूप में किया जा रहा था.
यह उन घटनाओं में से एक थी जिसने केरल के समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया जिसके बाद सरकार ने दक्षिणी राज्य में इस अवैध कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की. केरल पुलिस ने 21 साल से कम आयु के युवाओं के बीच एक सर्वे कराया. इसमे एक और हैरतअंगज बात पता चली कि नशे की गिरफ्त में आए इन युवाओं में से 40 प्रतिशत 18 साल से कम आयु के थे.
ड्रग की गिरफ्त ज्यादातर लड़कियां
सबसे डरावनी बात यह थी कि इनमें से ज्यादातर लड़कियां थी और मादक पदार्थ के जाल में फंसने के बाद उनका इस्तेमाल तस्करों के रूप में किया जा रहा था. अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) एम आर अजीत कुमार ने कहा, पहले मादक पदार्थ के मामले कॉलेजों में ज्यादा आते थे लेकिन अब स्कूलों में ज्यादा मामले आते हैं और लड़कियां मादक पदार्थ के दुरुपयोग से अधिक पीड़ित हैं. राज्य पुलिस के मादक पदार्थ रोधी अभियान योद्धा के लिए राज्य के नोडल अधिकारी कुमार ने कहा कि महिला तस्करों का इस्तेमाल अन्य लड़कियों को इस जाल में फंसाने के लिए किया जा रहा है.
लड़कियों को बना रहे शिकार
कुमार ने कहा कि वे पहले स्कूल जाने वाली लड़कियों से दोस्ती करती हैं और फिर धीरे-धीरे उन्हें ड्रग्स की खतरनाक दुनिया में धकेल देती हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सड़क किनारे लगे ठेलों पर यह धंधा ज्यादा हो रहा है. स्कूलों से मादक पदार्थ की समस्या खत्म करने के लिए पुलिस ने राज्य में स्कूलों के समीप छोटे-छोटे ठेलों और दुकानों पर 18,301 छापे मारे और 401 मामले दर्ज किए. 462 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जबकि 20.97 किलोग्राम गांजा, 186.38 ग्राम एमडीएमए और 1112.1 ग्राम हशीश जब्त की गई.
नशे के बाद यौन शोषण की घटनाएं
तिरुवनंतपुरम जिला बाल संरक्षण इकाई में तैनात काउंसलर अंजू डायस ने कहा, मादक पदार्थ के दुरुपयोग के मामले स्कूली बच्चों में बहुत ज्यादा हैं. जब हम उनकी काउंसिलिंग करते हैं तो वे नशा करने की बात कबूल करते हैं लेकिन कभी भी यह नहीं बताते कि उन्हें नशीला पदार्थ कहां से मिला. उन्होंने कहा कि 13 साल और उससे अधिक आयु की लड़कियों में नशा करने के साथ यौन शोषण की घटनाएं भी सामने आती हैं.
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