नई दिल्ली। कर्नाटक के गृहमंत्री (Karnataka Home Minister) अरागा ज्ञानेंद्र (Araga Gyanendra) ने कहा कि बच्चों (Children) को विद्यालयों (Schools) में न तो हिजाब (Hijab) पहचाना चाहिए और न ही भगवा शॉल (Saffron Shawls) ओढ़ना चाहिए । उन्होंने पुलिस से उन धार्मिक संगठनों पर नजर रखने को कहा जो इस संबंध में देश की एकता को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। ज्ञानेंद्र ने कहा कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए , बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहां सभी विद्यार्थियों को एकत्व बोध से साथ मिलकर शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।
उनकी यह टिप्पणी उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में कुछ विद्यार्थियों द्वारा ‘हिजाब’ पहनने को लेकर उठे विवाद के बीच आयी है। एक अन्य घटना में कुंडापुर पी यू महाविद्यालय में हिजाब पहनकर पहुंची मुस्लिम छात्राओं को प्राचार्य ने प्रवेश द्वार ही पर रोक दिया। उनसे कहा गया कि कक्षाओं में हिजाब लगाने की अनुमति नहीं है इसलिए वे प्रवेश से अपना हिजाब हटा लें। कल करीब 100 हिंदू विद्यार्थी हिजाब लगाने के विरोध में भगवा शॉल पहनकर कक्षा में पहुंचे थे।
ज्ञानेंद्र ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ”विद्यालय ऐसी जगह है जहां सभी धर्मों के बच्चों को साथ मिलकर सीखना चाहिए और इस भावना को आत्मसात करना चाहिए कि हम सभी अलग अलग नहीं बल्कि भारत माता की संतान हैं।” उन्होंने कहा कि लोगों के अपने धर्म के पालन एवं प्रार्थना करने के लिए गिरजाघर, मस्जिद और मंदिर जैसे स्थान तो हैं इसलिए विद्यालय में बच्चों में राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की संस्कृति विकसित करने का अकादमिक माहौल होना चाहिए।
सभी से इस दिशा में सोचने का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा, ”ऐसे धार्मिक संगठन हैं जो अन्यथा सोचते हैं,मैंने पुलिस से उनपर नजर रखने को कहा है। जो रूकावट खड़ी करते हैं या देश की एकता को कमजोर करते हैं, उनसे निपटा जाए।” उन्होंने कहा, ”सभी को भारत माता की संतान के तौर पर शिक्षा अर्जन के लिए आना चाहिए। किसी को विद्यालय परिसर में न तो हिजाब पहनना चाहिए और न ही भगवा शॉल ओढ़ना चाहिए, उन्हें विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा तय नियमों का अनिवार्य तौर पर पालन करना चाहिए।”
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