ओस्लो (Oslo)। नॉर्वे की राजधानी (Norway’s capital) ओस्लो (Oslo) में ईरान (Iran) के खिलाफ संदेश दिया गया। ईरानी मानवाधिकार कार्यकर्ता (Iranian human rights activist) की ओर से ओस्लो में ईरान की अत्याचारी और निरंकुश धार्मिक सरकार (tyrannical and autocratic religious government) के खिलाफ निशाना साधा गया। दरअसल, रविवार को ईरानी जेल में बंद नरगिस मोहम्मदी (Nargis Mohammadi in Iranian jail) के बच्चों ने अपनी मां की ओर से नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) ग्रहण किया। इसके बाद उनके बच्चों ने अपनी मां का संदेश पढ़ा।
तालियां बजाकर किया स्वागत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मदी (51) ईरान की एविन जेल में कैद हैं। इस वजह से उनके जुड़वा बच्चों कियाना रहमानी (17) और अली रहमानी (17) ने अपनी मां की ओर से पदक ग्रहण किया और जेल में बंद मां द्वारा ही तैयार किया गया भाषण पढ़ा। बता दें, जब दोनों बच्चे पदक स्वीकार करने मंच की ओर बढ़ रहे थे, तब वहां मौजूद सभी लोग खड़े हो गए और तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। पदक स्वीकार करने के बाद उन्होंने मां का संदेश पढ़ते हुए कहा…
मैं यह संदेश जेल की ऊंची और ठंडी दीवारों के पीछे से लिख रही हूं। मैंने दुनिया में शांति और मानवाधिकारों के वैश्वीकरण की अपील की लेकिन ईरान की सरकार मेरे ही खिलाफ दुर्व्यवहार कर रही हैं। मोहम्मदी ने चेतावनी दी कि सत्तावादियों के कारण मानवाधिकार उल्लंघन के व्यापक परिणाण होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के कारण देश में प्रवासन, अशांति और आंतकवाद का खतरा बढ़ेगा। उन्होंने अपने देश की सरकार को निरंकुश धार्मिक सरकार के साथ-साथ स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र की आत्मा को कुचलने वाला बताया। अत्याचार जीवन को मृत्यु में, आशीर्वाद को विलाप में और आराम को पीड़ा में बदल देता है। उन्होंने कहा कि जीत आसान नहीं है लेकिन एक दिन जरूर मिलेगी।
अब भी ईरान की शक्तिशाली आवाज
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ईरानी जेल में बंद होने के बाद भी मोहम्मदी एक शक्तिशाली आवाज है। उन्हें ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अक्टूबर में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पिछले साल ईरान में ठीक से हिजाब न पहनने के कारण काफी बवाल हुआ था और यह विवाद इतना बढ़ा कि सैकड़ों लोेगों की प्रदर्शन में मौत हो गई।
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