भोपाल। कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) और हिंदू परिवार के बच्चों के साथ वहां से विस्थापित हुए परिवार के बच्चों को अब मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों में पढऩे का अवसर मिलेगा। इसकी शुरुआत नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जबलपुर, महू (इंदौर) और रीवा वेटरनरी कालेज के साथ फिशरी कालेज जबलपुर के स्नातक पाठ्यक्रम में इस कोटे में कश्मीरी पंडित और हिन्दुओं के बच्चों के लिए 17 सीटों को आरक्षित किया है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिसंबर से शुरू हो रहे बैचलर आफ वेटरनरी साइंस, बैचलर आफ फिशरी साइंस के नए शिक्षण सत्र के लिए आवेदन मांगे हैं। हालांकि आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 सिंतबर तय की गई थी, लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया। इसके बाद विश्वविद्यालय ने आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 14 नवंबर कर दिया है। प्रशासन के मुताबिक इस आरक्षण को पिछले शिक्षण सत्र में लागू किया जाना था, लेकिन देरी की वजह से इस साल नए सत्र से इसे लागू किया जा रहा है। इससे पहले ऐसा कोई आरक्षण नहीं दिया जाता था। इन विस्थापितों को आरक्षण देकर पढ़ाई कराए जाने के पीछे उन्हें संरक्षण देने की मानसिकता है, क्योंकि यह बच्चे अपनी धरती से बिछडक़र पूरे देश में आशियाना ढूंढ रहे हैं।
एनईईटी की परीक्षा पास करना अनिवार्य
वेटरनरी विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा स्नातक पाठ्यक्रम में अभी तक अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) और वेटरनरी काउंसिल आफ इंडिया (वीसीआई) कोटा ही दिया जाता है। इस बार विश्वविद्यालय ने केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के निर्देश के बाद इस साल से नया कोटा शामिल किया है, जिसमें कश्मीरी पंडित और हिंदू परिवार के साथ वहां से विस्थापित हुए परिवार के बच्चों को इस कोटे में प्रवेश दिया जाएगा। इस कोटे में प्रवेश लेने के लिए उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पास करना अनिवार्य है। ऐसे अभ्यर्थियों से विश्वविद्यालय द्वारा बैचलर आफ वेटरनरी साइंस, बैचलर आफ फिशरी साइंस पाठ्यक्रम की साधारण फीस ही ली जाएगी।
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