हमीरपुर । पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Chief Minister Prem Kumar Dhumal) ने कहा है कि फुर्सत के वक्त (During Leisure Time) बच्चे-बच्चियों (Children) को पहाड़ी संस्कृति (Hill Culture) से अवगत कराएं (Make Aware) । पहाड़ी संस्कृति सबसे अच्छी है। एक समय था जब प्रदेश से अन्यत्र जाने पर किसी के द्वारा पहाड़ी कहलाए जाने पर शर्म महसूस की जाती थी, लेकिन आज वक्त बदला है, आज पहाड़ी गीत भी गर्व के साथ गाए जा रहे हैं।
शुक्रवार को हमीरपुर के गसोता में भाजपा द्वारा आयोजित पहाड़ी संगीत प्रतियोगिता में भाग ले रही महिलाओं को संबोधित करते हुए धूमल ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जब हम छोटे थे तब हम घर पर पढ़ाई लिखाई और घर के कामों से बचे हुए समय में अपने बड़े बुजुर्गों से कहानी सुना करते थे। उन कहानियों में छिपा हुआ सार जीवन में आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता था कुछ सिखाता था। ऐसी ही हमारी पहाड़ी संस्कृति है हमारे लोकगीत है उनमें कोई ना कोई अच्छा संदेश छुपा होता है जो सही राह दिखाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी पहाड़ी संस्कृति में हमारे जीवन के कई शुभ कार्यों हेतु हर मुहूर्त हर घड़ी से जुड़ा एक लोकगीत होता है जैसे सुहाग घोड़ियां इत्यादि। हमारी पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम मातृशक्ति के जिम्मे है। बहुत अच्छा लगता है जब हम देखते हैं आज भी गांव-गांव में महिला शक्ति हमारी पारंपरिक विरासत को संभाले हुए हैं। पहाड़ी संस्कृति को आगे बढ़ा रही है और यह आगे बढ़नी चाहिए। हमारी आने वाली पीढ़ी को हमारी पहाड़ी संस्कृति का ज्ञान होना अति आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर ने पहाड़ी संगीत प्रतियोगिता के माध्यम से एक बहुत अच्छी पहल समाज में शुरू की है। इससे सभी लोगों को हमारी पहाड़ी संस्कृति से रूबरू होने का अवसर तो मिलेगा ही साथ में मातृशक्ति को मंच मिलेगा जहां वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे और अपना आत्मविश्वास जगाएंगी इस प्रकार हम महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य पर भी आगे बढ़ रहे हैं।
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