इंदौर (Indore)। कल पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) को आष्टांग महाविद्यालय लोकमान्य नगर और राऊ के आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान पर 1 माह के शिशु से लेकर 12 साल तक के नाबालिग बच्चों को सुवर्ण प्राशन की दवा पिलाई जाएगी। शिशुओं से लेकर बच्चों को यह दवा उनकी उम्र के हिसाब से पिलाई जाती है। आष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सा संस्थान में बाल रोग विभाग के डॉक्टर धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि शिशुओं से लेकर नाबालिग बच्चों को सुवर्ण प्राशन की दवा कितनी मात्रा में पिलानी है यह उम्र के हिसाब से तय होता है। 1 माह के शिशु को 1 बूंद , 6 माह से 2 साल के बच्चों को 2 बूंद, 2 साल से लेकर 4 साल के बच्चों को 4 बूंद और 4 साल से लेकर 12 साल तक के बच्चों को 6 बूंद दवा पिलाई जाती है। सालभर में हर माह के पुष्य नक्षत्र को यह दवा पिलाई जाती है। सालभर में 13 बार यह दवा पिलाते हैं, क्योंकि 12 माह में एक माह ऐसा भी आता है, जब 1 ही माह में 2 बार पुष्य नक्षत्र होता है। इस साल इसी अगस्त माह में 3 अगस्त को भी पुष्य नक्षत्र था। इसके बाद कल 31 तारीख को फिर पुष्य नक्षत्र का योग है।
स्वर्ण मिला होता है सुवर्ण प्राशन दवा में
सुवर्ण प्राशन दवा में अन्य गुणकारी औषधि के अलावा इसमें स्वर्ण भी मिला होता है। इसके बारे में महर्षि कश्यप ने कहा है कि उसमें शुद्ध स्वर्ण भस्म, गाय का घी, शहद, वचा यानी कायाकल्प करने वाली औषधि के अलावा अन्य गुणकारी दवाओं को मिलाकर हर पुष्य नक्षत्र में चाटने से बच्चों का संपूर्ण रूप से विकास होता है। महर्षि कश्यप के इसी औषधीय सूत्र से सुवर्ण प्राशन की दवा का निर्माण किया जाता है।
सुवर्ण प्राशन की दवा पिलाने के लाभ
शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है
बुद्धिबल और स्मरणशक्ति में बढ़ोतरी
शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक
बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाता है
पाचन तंत्र मजबूत कर स्वस्थ रखता है।
कुल मिलाकर शिशुओं से लेकर नाबालिग-किशोर बच्चों में बड़ी तेजी से संपूर्ण विकास होता है।
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