उज्जैन। इन दिनों लगता है कि उज्जैन में कोई गैंग काम कर रही है जो बच्चे चुराती है। उज्जैन से 190 बालिकाएँ गायब हो गई, इतना ही नहीं 32 बालक भी लापता हो गए थे। पुलिस का दावा है कि उन्होंने अभी तक 170 बालिकाओं को ढूंढ निकाला है। अभी भी 20 बालिकाओं का पता नहीं चल पाया है। दो बालक भी नहीं मिल पाए हैं। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले पुलिस कंट्रोल रूम पर पत्रकार वार्ता लेकर एसपी सत्येन्द्रकुमार शुक्ला ने शंकराचार्य चौराहे से गायब हुई बच्चियों के मिल जाने के बारे में बताया था। उनके अनुसार इन बालिकाओं में एक 7 वर्ष की थी तथा दूसरी डेढ़ वर्ष की बच्ची थी। घटना वाले दिन आरोपी दंपत्ति 7 वर्ष की बालिका को तो देवासगेट क्षेत्र में लावारिस छोड़कर चले गए थे परंतु उसकी डेढ़ साल की बहन को देवास निवासी दंपत्ति ने रख लिया था जिसे भोपाल से बरामद कर लिया गया। इधर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस साल जिले में गायब हुए बालक-बालिकाओं की गुमशुदगी के अलग-अलग थानों में कुल 222 मामले दर्ज हुए थे।
इनमें 3 बालिकाओं की गुमशुदगी 2009, 2012 और 2013 को भी मौजूदा साल में दर्ज किया गया है। वैसे इस साल जनवरी से लेकर 13 दिसंबर तक उज्जैन जिले में 190 बालिकाएँ और 32 बालकों की गुमशुदगियाँ दर्ज हुई हैं। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि गुम हुए 222 बालक-बालिकाओं में से 190 बालिकाएँ थी जिनमें से पुलिस ने 170 को ढूंढ निकाला है। इसके अलावा 32 बालकों में से 30 बालकों को तलाश कर परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। अभी भी 20 बालिकाएँ और दो बालक नहीं मिले हैं जिन्हें ढूंढने के प्रयास पुलिस लगातार कर रही है। अधिकारियों का कहना है कि गुमशुदा बालक बालिकाओं के मामले दर्ज करने से लेकर उन्हें तलाश कर हल करने का इस साल जो प्रतिशत रहा है वह 90 प्रतिशत से ज्यादा रहा है। पुलिस भले ही ऐसे मामलों में 90 फीसदी से ज्यादा का सफलता का दावा कर रही है परंतु अभी भी 22 बालक-बालिका नहीं मिले हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved