नई दिल्ली। तीसरी लहर (Third Wave) के खतरे से बच्चों को बचाने के मद्देनजर युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है। यह बात सही है कि कोविड (Covid)से बच्चों को खतरा है मगर सभी विशेषज्ञ शुरू से कह रहे हैं कि बड़ों के मुकाबले बच्चे ज्यादा आसानी से इस वायरस (Virus) को मात देने में सक्षम हैं। हमने पटना (Patna), जमशेदपुर, मेरठ, कानपुर (Kanpur), गोरखपुर (Gorakhpur), गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा (Noida), बरेली, प्रयागराज सहित तकरीबन बीस शहरों/जिलों से कोविड संक्रमित बच्चों (16 साल तक) के स्वास्थ्य का जायजा लिया तो एक सकूनभरी तस्वीर सामने आई। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, अस्प्तालों में भर्ती भी हो रहे हैं मगर 0.10 फीसदी को छोड़कर सब सकुशल हैं।
ऑस्ट्रेलिया (Austrelia) के प्रतिरक्षा विज्ञानी मेलेनी नीलेंड का कहना है कि बच्चों के प्रतिरक्षा तंत्र को जैसे ही वायरस के बारे में पता चलता है वह बड़ों के मुकाबले ज्यादा ताकत के साथ काम करना शुरू कर देता है और वायरस को अपनी कॉलोनी बनाने से पहले ही खत्म करने में जुट जाता है। इसलिए कई बार ऐसा होता है कि वायरस से ग्रस्त होने के बावजूद आरटीपीसीआर टेस्ट में यह पकड़ में नहीं आता।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव सिरोही कहते हैं, ”बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है। कोई भी वायरस बच्चों में काफी देरी से असर करता है। तीसरी लहर में छोटे बच्चों को लेकर चिंता वास्तव में हैं। यदि यह वायरस बच्चों के फेफडों को प्रभावित करेगा तो यह काफी घातक हो सकता है। ऐसे में बच्चोंं की रिकवरी रेट भी काफी कम होगा। यही कारण है कि आने वाली चिंता बच्चों को लेकर हैं।”
किन शहरों में कितने बच्चों ने दी कोरोना को मात
मेरठ: 1385 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए। 100 फीसदी रिकवरी दर।
बुलंदशहर: 338 बच्चे संक्रमित हुए दूसरी लहर में। 100 फीसदी रिकवरी दर।
बरेली: 1277 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। 319 अस्पताल में भर्ती हुए थे। 100 फीसदी रिकवरी।
शाहजहांपुर: 604 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले। एक बच्ची की मौत हुई है। 100 प्रतिशत रिकवरी रेट रहा।
पीलीभीत: 501 बच्चे संक्रमित हुए। सभी स्वस्थ।
लखीमपुर खीरी: 7 बच्चों में संक्रमण की पुष्टि। 100 फीसदी रिकवरी।
नोएडा: 157 बच्चे संक्रमित हुए। 5 बच्चों की मौत हुई। 60 घर पर ही ठीक हुए।
गाजियाबाद: 3,199 बच्चे कोरोना संक्रमित हुए। 100 फीसदी रिकवरी रेट।
गोरखपुर, कानपुर, प्रयागराज और मेरठ सहित उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में बच्चों ने कोरोना को बखूबी मात दी है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में अब तक 41 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। ऑक्सीजन बेड और एनआईसीयू में 83 बच्चे भर्ती रहे। दो बच्चों को छोड़कर सभी ठीक हो गए। यहां पहली लहर में 167 बच्चे भर्ती हुए थे। अभी जो बच्चे भर्ती हो रहे हैं उनके पेट में दर्द, डायरिया, बुखार, सांस लेने में तकलीफ की शिकायत थी। पिछली लहर में ज्यादातर बच्चों को बुखार, सर्दी जुकाम और सांस लेने में तकलीफ थी।
मेरठ में एक मई से 20 मई तक 1385 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इनमें तीन साल तक की उम्र वाले 148, 4-10 उम्र वाले 499 और 11-16 वर्ष की उम्र वाले 738 बच्चे संक्रमित हुए हैं। कोरोना की दूसरी लहर में किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है। बच्चों का रिकवरी रेट 100 और ओवरऑल रिकवरी रेट 99 फीसदी है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों में सामान्यतः बुखार-खांसी की दिक्कत है। उनके फेफड़ों में दिक्कत नहीं आ रही, इसलिए रिकवरी रेट बेहतर है।
बिजनौर में नोडल अफसर डॉक्टर पीआर नायर के मुताबिक, इस समय यहां मात्र एक 14 वर्षीय कोरोना संक्रमित बच्चा भर्ती है। पहली लहर से दूसरी लहर तक में आज तक किसी बच्चे को आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी और न ही किसी बच्चे की पहली या दूसरी लहर में मृत्यु हुई है। सहारनपुर जिले में कोरोना की दूसरी कहर में एक सात वर्षीय बालिका को भर्ती किया गया था, वह भी स्वस्थ होकर घर लौट चुकी है। बच्चों को पहली और दूसरी लहर में भर्ती करने की कोई आवयश्कता नहीं पड़ी।
प्रयागराज के कोविड एल-3 एसआरएन अस्पताल में अभी कोई भी कोरोना संक्रमित बच्चा भर्ती नहीं है। दूसरी लहर में पांच बच्चे संक्रमित होने के कारण भर्ती हो चुके हैं। इनमें से ढाई साल के एक बच्चे ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था। शेष स्वस्थ होकर घर लौट गए।
वहीं बुलंदशहर में पहली लहर में 1-10 साल तक के 524 बच्चे संक्रमित हुए थे। दूसरी लहर में एक साल से कम उम्र के 22 बच्चे और 1-10 साल तक के 316 बच्चे संक्रमित हुए। इनमें अधिकांश बच्चों ने घर पर ही कोरोना से जंग जीती है। बागपत जिले में कोरोना की पहली लहर में एक 2 साल का बच्चा संक्रमित हुआ था, जो मेरठ में उपचार मिलने के बाद ठीक हो गया था। दूसरी लहर अभी तक छोटे बच्चे के संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। हापुड़ जनपद में पहली और दूसरी लहर में बच्चों पर भी कोरोना का असर दिखाई दिया। जिले में पहली लहर में 70 बच्चे पॉजिटिव होने के बाद भर्ती किए गए थे, जबकि दूसरे लहर में 160 बच्चे संक्रमित हुए, जिन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। दोनों लहर में पॉजिटिव हुए बच्चे उपचार के बाद स्वस्थ हो गए थे। जिले में किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है।
कानपुर : सभी बच्चे स्वस्थ
कानपुर में दूसरी लहर में बच्चे और किशोर बड़ी संख्या में संक्रमित हुए, पर ज्यादातर बिना लक्षण वाले ही रहे। अब तक कुल 46 बच्चों का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग कोविड वार्ड में इलाज किया गया। शुक्रवार दोपहर को भर्ती अंतिम किशोर भी कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट आ गई है, जल्द ही उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। पहली और दूसरी लहर में किसी भी बच्चे की जान नहीं गई। पहली लहर की तरह दूसरी लहर में भी रिकवरी रेट 100 फीसदी रहा। ज्यादातर बच्चों में सर्दी, जुखाम, बुखार, डायरिया जैसे लक्षण मिले। तीन नवजातों को आईसीयू में रेमडेसिविर थेरेपी दी गई। सभी मां से संक्रमित हुए थे। तीसरी लहर से लड़ने के लिए मैटरनिटी कोविड हॉस्पिटल के तीसरे फ्लोर पर 100 बेड का शिशु कोविड वार्ड बन रहा।
झारखंड : 80 में से 78 बच्चों ने दी मात
झारखंड के बड़े अस्पतालों में में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुल 80 बच्चे अस्पताल में भर्ती हुए और केवल दो बच्चों की मौत हुई है। रिकवरी रेट लगभग 97.5 प्रतिशत है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुल 24 बच्चे भर्ती हुए थे। इनमें से केवल एक बच्चे की मौत हुई शेष 23 बच्चे स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट गये। पिछली लहर में 47 बच्चे भर्ती थे और सभी स्वस्थ होकर लौट गये। दूसरी लहर में जिस बच्चे की मौत हुई वह चार साल तक का था। भर्ती बच्चों में दो साल तक का एक भी बच्चा नहीं था। 3 से 9 साल तक के 9 और 9 से 15 साल के 15 बच्चे थे।
कोरोना की पहली लहर में धनबाद में 15 साल से कम उम्र के 163 बच्चे संक्रमित हुए थे। इसमें किसी को आईसीयू में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी थी। किसी की मौत नहीं हुई। दूसरी लहर में अभी तक 114 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। इनकी उम्र 15 वर्ष से कम है। दूसरी लहर में भी कोई बच्चा गंभीर रूप से बीमार नहीं हुआ। लगभग 28 बच्चों को 1 से 2 दिन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी। जमशेदपुर में बड़े अस्पतालों में 28 बच्चे भर्ती है। कोरोना की पहली लहर में 169 भर्ती थे। पहली लहर में किसी को आईसीयू की आवश्यकता नहीं पड़ी लेकिन दूसरी लहर में में 3% बच्चों को आईसीयू की आवश्यकता पड़ी। इसमें एक 12 वर्षीय बालक की मौत हो गई।
पटना : इस बार चार हजार बच्चे संक्रमित
पटना जिले में इस लहर में 14 साल से कम आयु के 4000 बच्चे संक्रमित हुए हैं। अभी जिले के विभिन्न अस्पतालों में 303 बच्चे भर्ती हैं, जिनका उपचार चल रहा है। हालांकि इस दौरान 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे की मौत की सूचना नहीं है। जो बच्चे होम आइसोलेशन में हैं उनकी निगरानी स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम से की जा रही है।
सबसे अधिक पीड़ित होने वाले बच्चों में आठ साल से 14 साल तक के हैं। पटना जिले में सबसे अधिक शहरी क्षेत्र में बच्चे प्रभावित हुए हैं। जिन इलाकों में सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं, उनमें कंकड़बाग, राजेंद्रनगर, शास्त्रीनगर, पत्रकारनगर, राजाबाजार, गर्दनीबाग आदि प्रमुख हैं। जबकि ग्रामीण इलाकों में सबसे अधिक जिन इलाकों में बच्चे प्रभावित हुए हैं, उनमें बाढ़, बख्तियारपुर, पालीगंज, मसौढ़ी और धनरूआ शामिल हैं। पटना जिले में दो साल के बच्चे बहुत कम पीड़ित हुए हैं, इसमें इनकी संख्या मात्र 96 है। 2020 में पटना के 155 बच्चे पीड़ित हुए थे, जो ठीक हो चुके थे। इस बार बच्चों में संक्रमण जिस रफ्तार से हुआ, उसी रफ्तार से रिकवरी भी हुई। सबसे अधिक संक्रमण बच्चों में 10 अप्रैल से 3 मई के बीच में हुआ है।