- जेल की बैरक में कैद हुआ खिलखिलाता बचपन-लंबे समय से जेल में ही हो रहा है पालन पोषण
- मां के अपराध की सजा के कारण रहने को मजबूर-7 वर्ष की उम्र के बाद भेजे जाएंगे बाल कल्याण आश्रम
उज्जैन। उज्जैन की केंद्रीय भेरूगढ़ जेल में महिला बैरक के अंदर 6 बच्चों का बचपन गुजर रहा है। यह वो बच्चे हैं जो मां के अपराध की सजा के चलते जेल की कोठरी में रहने को मजबूर हैं। उज्जैन की केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में संभागभर के पुरुष एवं महिला कैदियों को लाया जाता है। इनमें कई कैदी सजायाफ्ता होते हैं, कुछ विचाराधीन होते हैं और कुछ अपराध के बाद जेल में रहते हैं। केंद्रीय जेल में महिला और पुरुष कैदियों के लिए अलग-अलग बैरक और हर तरह की व्यवस्था अलग की गई हैं। जेल के अंदर कुल 119 महिला कैदी वर्तमान में हैं इनमें कुछ सजायाफ्ता हैं और कुछ विचाराधीन हैं। इन महिला कैदियों में से 6 महिला कैदी ऐसी हैं जिनके 6 बच्चे महिला कैदियों के साथ बैरक में रहने को मजबूर हैं या कहा जाए कि इन बच्चों का बचपन भी जेल की बैरक में ही गुजर रहा है।
इन बच्चों की मां के द्वारा किए गए अपराध की सजा के बाद मां के साथ यह बच्चे भी जेल में रहने के लिए मजबूर हैं। 119 महिलाओं कैदियों में 6 महिला जिनमें 3 उज्जैन की, 1 झाबुआ, 1 रतलाम और 1 देवास की महिला कैदी हैं जिनके बच्चे बचपन से ही मां के साथ बैरक में रह रहे हैं। इन बच्चों की परवरिश के लिए अन्य महिला कैदी भी पूरा सहयोग करती हैं और इन बच्चों के लिए जेल की बैरक ही घर और एक परिवार की तरह हो गया है। जेल अधीक्षक मनोज साहू ने अग्निबाण को बताया कि माँ के साथ बैरक में रह रहे बच्चों का पूरी तेरह ध्यान रखा जाता है। बच्चों को फल, दूध और पौष्टिक आहार दिया जाता है। जेल में ही बच्चों की पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था भी की जाती है। जेल अधीक्षक श्री साहू ने बताया कि यह बच्चे जब 7 वर्ष के होंगे तब इन्हें बाल कल्याण आश्रम भेजा जाएगा। वहीं यह बच्चे पढ़ेंगे लिखेंगे और जब भी यह बच्चे अपनी मां से मिलने आएंगे इन्हें मिलने की पूरी व्यवस्था की जाएगी।