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बचपन के दोस्तों ने बनाया ऑरकेस्ट्रा, गाने गाकर कर रहे गरीबों की मदद

April 25, 2023

हर खुशी से खूबसूरत तेरी शाम कर दूं
अपना प्यार और दोस्ती तेरे नाम कर दूं
मिल जाये अगर दोबारा ये जि़न्दगी ए दोस्त
हर बार ये जि़न्दगी तुझ पे कुर्बान कर दूं।

वो सभी बचपन के दोस्त हैं। सत्तर से अस्सी की दहाई में इन सब के माता-पिता सरकारी मुलाज़मत में थे। लिहाज़ा ये दोस्त शिवाजीनगर, पांच नम्बर, तुलसी नगर के सरकारी क्वाटरों में रहे। साथ खेले, साथ बड़े हुए। आज इन दोस्तों की उम्र 52 से 58 बरस के दरम्यान हैं। सभी हर लिहाज से जमी-जुटी जि़न्दगी जी रहे हैं। इन पुराने दोस्तों के नाम हैं- प्रदीप सुकुमारन, वेणु पिल्लई, जॉयस थॉमस, शकील खान (मुर्गा ऑन व्हील्स), विशाल जोशी, संतोष वर्मा, संजय लाड, मोहन अय्यर, अनूप कृष्णन, और अरुण सोनी। यूं तो ये सभी अपने अपने स्तर पे ज़रूरतमंदों की मदद किया करते थे। बाकी साल 2017 में इन्हें एक आइडिया आया कि एक ऑर्केस्ट्रा बनाया जाए। इनमे से प्रदीप और वेणु बहुत अच्छे सिंगर थे और स्टेज पर परफॉर्म करते थे। इन दोनों गायक मित्रों ने जॉयस थॉमस, संतोष वर्मा और मोहन अय्यर को गायन की बारीकियां सिखाईं। सुर ताल साधने और सांस का इस्तेमाल सिखाया। घंटों रोज़ रियाज़ करवाया गया। जब पांच-छह दोस्त बेहतरीन गाने लगे तब इन्होंने अनुभूति मेलोडीज़ फ़ॉर एवर नाम का ऑर्केस्ट्रा गठित किया। फीमेल वॉइस के लिए एसबीआई मैनेजर पल्लवी सिंह जुड़ गईं। इनका पहला परफॉर्मेंस 2017 में कैम्पियन स्कूल ऑडिटोरियम में बहुत कामयाब रहा था। पूरा हॉल खचाखच भरा था।


खास बात ये है कि ये लोग मुहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश और मन्नाडे के पचास से साठ के दशक के एवरग्रीन सांग्स लाजवाब गाते हैं। आज हाल ये हैं कि अनुभूति साल में दो बार नए पुराने फिल्मी गानों को पेश करती है। सभी परफॉरमेंस जेम पैक रहते हैं। दैर से आने वालों को बैठने की जगह नहीं मिल पाती। हाल ही में अनुभूति ने नए रविन्द्र भवन में ‘नॉस्टैल्जिक 90’ उनवान से परफॉर्म किया था। जिसमे भारी तादात में संगीत प्रेमी पहुंचे थे। अनुभूति नए सिंगर्स को भी मौका देती है। गानों की रिहर्सल हर मंगलवार को मोहन अय्यर के घर या दानिश कुंज में सेलिब्रेशन रिसॉर्ट में असीम जिंदल साब के सहयोग से होती है। ये लोग ट्रेक पर नहीं बल्की लाइव ऑर्केस्ट्रा के साथ गाते हैं। जॉयस थॉमस बताते हैं कि अनुभूति मेलोडीज़ फ़ॉर एवर एक नॉन प्रॉफिटेबल संस्था है। हम लोग शादी, बर्थ डे या किसी और मौके पर परफॉर्म करने का जो चार्ज लेते हैं उसे ज़रूरतमंद लोगों को दिया जाता है। हम लोग हेल्पेज इंडिया को भी मदद करते हैं। हर साल हम जो परफॉर्मेंस ऑडिटोरियम में करते हैं उसे स्पांसर्ड किया जाता हैं। स्पॉन्सरशिप से बचे पैसे भी ज़रूरतमंदों को उनकी जरूरत का सामान दिलाने में लगाये जाते हैं। कोविड काल मे अनुभूति ने 500 ज़रूरतमंदों को किराने का सामान बांटा था। इन मित्रों के कई बचपन के दोस्त दुबई, अमेरिका और यूके में रहते हैं। खास बात ये है की वो सभी अप्रवासी भारतीय दोस्त साल में एक बार अनुभूति का प्रोग्राम सुनने भारत आते हैं और आर्थिक योगदान भी देते हैं। इन दोस्तों में कोई बिल्डर है तो कोई सरकारी मुलाजि़म तो कोई रेस्टोरेंट का संचालक। इस काम के ज़रिए जहां इनका शौक पूरा हो रहा है वहीं माशरे के ज़रूरतमंदों की मदद भी की जा रही हैं। भोत उम्दा काम कर रय हो अनुभूति वालों। बस इसे हर हाल में जारी रखियेगा।

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