वर्ल्ड चाइल्ड लेबर उन्मूलन दिवस आज
कम्पनियों पर 50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान, 56 और सराफा व्यापारियों को दिलाएंगे शपथ
इंदौर। पिछले तीन सालों में बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने के लिए एक सैकड़ा कम्पनियों पर छापामार कार्रवाई की गई। 200 से अधिक बाल मजदूरों को चाइल्ड लाइन (Child Line) ने जहां मुक्त कराया, वहीं मुख्य धारा से जोडऩे शिक्षा और स्वास्थ्य लाभ भी दिलाया। बालश्रम मुक्त दिवस पर व्यापारियों को भी बालश्रम न कराने की शपथ दिलाई गई।
वल्र्ड चाइल्ड डे के मौके पर चाइल्ड लाइन मोहल्ला समिति, कम्युनिटी ग्रुप बनाकर बच्चों को संस्थानों और घरों में जबरन मजदूरी न करवाने की पहल कर रही है। राजेंद्रनगर, राऊ, विजयनगर जैसे क्षेत्रों में घरों में कई बच्चे डोमेस्टिक चाइल्ड लेबर में लिप्त हैं। कई घरों में बच्चे बर्तन मांजने, साफ-सफाई करने जैसे काम कर रहे हैं। उसके लिए इसी क्षेत्र के लोगों को चाइल्ड मित्र बनाया जाएगा। 2021 से 2023 तक चाइल्ड लाइन द्वारा छेड़ी गई मुहिम के तहत 200 बच्चों को सैकड़ों कम्पनियों में बाल मजदूरी करते हुए पाया गया, जिसमें देवास नाका स्थित 20 से अधिक फैक्ट्रियां, सांवेर रोड स्थित कम्पनियों में सबसे ज्यादा बाल मजदूर पाए गए।
रैकी कर रख रहे नजर
चाइल्ड लाइन की टीम बाल मजदूरों को मुक्त कराने के लिए देवास नाका स्थित कई कम्पनियों पर रैकी कर नजर रख रही है। चाइल्ड लाइन डायरेक्टर वसीम इकबाल के अनुसार कई फैक्ट्रियों में अब भी बाल मजदूरी कराई जा रही है। वहां के लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार उक्त कम्पनियों की रैकी की जा रही है। कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन और चाइल्ड लेबर फ्री मार्केट बनाने के लिए दुकान और संस्थानों पर जाकर चाइल्ड मित्र बनाने की प्रक्रिया कर रही है। सराफा और 56 दुकान के व्यापारियों के साथ मिलकर बच्चों को मजदूरी से दूर करने के लिए शपथ दिलवाई जा रही है।
बच्ची हुई गर्भवती
राजेंद्रनगर व राऊ क्षेत्र में सबसे ज्यादा डोमेस्टिक लेबर सामने आया है। पूर्व में भी उक्त क्षेत्र के परिवार में बच्ची के गर्भवती होने की घटना सामने आई थी, जिसमें परिवार के बेटे द्वारा बच्ची का शोषण किया गया था। इस तरह की घटनाओं पर विराम लगाने के लिए चाइल्ड लाइन मोहल्ला समितियां गठित कर रही है। प्रत्येक क्षेत्र के 10 से अधिक लोगों को इस समिति का सदस्य बनाया जा रहा है, वहीं होटल और कम्पनियों पर नजर रखने के लिए कम्पनी मित्र बनाए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि लेबर डिपार्टमेंट बाल मजदूरी कराए गए कम्पनियों पर कानूनी कार्रवाई के प्रावधान के तहत जुर्माना लगाता है, जिसमें 20 से लेकर 50 हजार रुपए और दो साल तक की सजा का प्रावधान है।
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