नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प को लेकर कथित रूप से सरकार की चुप्पी पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. इस संबंध में विपक्षी सांसदों ने संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की. विपक्ष का आरोप है कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर रही है. 9 दिसंबर को सीमा पर हुई झड़प को लेकर संसद में खूब हंगामा हो रहा है. आज, सोमवार को भी संसद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया. इसकी वजह से कई बार कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा.
राज्यसभा में चर्चा की मांग कथित रूप से ठुकराए जाने के बाद कांग्रेस, लेफ्ट, डीएमके और अन्य दलों के सांसद वॉकआउट कर गए. वहीं लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग की और यहां भी सांसदों जमकर हंगामा किया. लोकसभा में जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को मिल रही धमकियां और आतंकियों द्वारा उन्हें निशाना बनाए जाने के मुद्दे पर भी विपक्ष ने चर्चा की मांग की. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक स्थगन नोटिस भी दिया.
…इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे तो क्या करेंगे?
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वे (चीन) हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा है. अगर इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे तो क्या चर्चा करेंगे? खरगे ने कहा कि हम इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा के स्पीकर के पास स्थगन नोटिस स्वीकार करने के कई नियम हैं.
हंगामा किया तो करेंगे कार्रवाई
इसपर स्पीकर जगदीप धनखड ने विपक्षी नेताओं को सलाह दी कि वे सदन को क्लासरूम न बनाएं. राज्यसभा के सभापति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने विपक्ष को चेतावनी दी और कहा कि सदन को बाधित करने के लिए उनपर कार्रवाई की जाएगी. धनखड़ ने कहा, “मैं लीडर ऑफ अपोजिशन से आग्रह करूंगा कि वह नियमों का पालन करें और ऐसी छवि न बनाएं जो अशोभनीय हो.” राज्यसभा स्पीकर धनखड़ ने विपक्ष के सभी नोटिस को खारिज कर दिया और कहा कि वे सही नहीं हैं.
बहुत निचले स्तर की राजनीति कर रहा विपक्ष
राज्यसभा में विपक्ष के हंगामा करने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज सदन में विपक्ष की निराशा दिखी कि वो नियम में भरोसा नहीं रखते. उन्होंने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा नहीं होती. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस मु्द्दे का पिछले चार मौकों पर जिक्र किया गया है…चीन के मुद्दे पर रक्षा मंत्री अपना बयान दे चुके हैं. उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को सदन में संवेदनहीन बताया. बता दें कि राहुल ने सदन के बाहर एक प्रेस कांफ्रेंस में झड़प को लेकर सरकार से सवाल पूछे थे. राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि विपक्ष को सदन चलने देना चाहिए और निचले स्तर की राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बहुत निचले स्तर की राजनीति की जा रही है… हाउस की रूलिंग को नजरअंदाज किया जा रहा है.
आखिर सीमा पर क्यों हो रही झड़पें?
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर, जेबी माथेर, नासिर हुसैन सहित कांग्रेस के कई सांसदों ने भी सीमा झड़प मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से भारतीय सीमा में घुसपैठ की चीन की कोशिशों और इन सबके बावजूद भारत और चीन के बीच बढ़ते व्यापार पर चर्चा करने की मांग की थी. तिवारी ने कहा, “अगस्त 2020 के बाद से दोनों सेनाओं के बीच यह पहली फिजिकल झड़प है, जो पूर्वी लद्दाख के रिनचेन ला में हुई थी. हमारे पास रक्षा मंत्री का बयान है. हालांकि, कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं जिन्हें पूछे जाने की जरूरत है.” उन्होंने सवाल किया कि ये झड़पें क्यों हो रही हैं, पहले गलवान और अब यांग्त्से?
हम चीन से ट्रेड कर उसे बना रहे सशक्त
इससे पहले टीवी9 से बातचीत में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि गलवान में 20 जवानों की शहादत का बदला लेने के बजाय मोदी सरकार चीन के साथ लाखों करोड़ का व्यापार कर रही है. 7 लाख करोड़ से ज़्यादा का व्यापार 21-22 का है. जो चीन हमारा दुश्मन देश है, उसे आप सशक्त बना रहे हैं. मोदी सरकार भारत के लोगों का व्यापार छीनकर दुश्मन देश चीन को सशक्त बना रही है, ताकि चीन और मिसाइल और हथियार खरीदे और हमारे देश पर हमला करे.
उन्होंने कहा कि 37% हमारा निर्यात घटा है. 31 % चीन से आयात बढ़ा है. आप चीन से क्यों सामान खरीद रहे हैं? चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की दिशा में सरकार ने क्या कदम उठाए, इन बातों का जवाब देना चाहिए. भारत की सीमा की सुरक्षा के साथ मोदी सरकार का कोई भी खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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