नई दिल्ली । सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने अपने दो दिवसीय दौरे में चीन के साथ लगी सीमाओं पर भारतीय सेना की तैयारियों की जिस तरह समीक्षा की है, उससे लगता है कि लद्दाख में पीछे न हटने की जिद पर अड़े चीन को अब भारत सबक सिखाने के मूड में आ गया है। पूर्वी लद्दाख में चीन के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ रही है, इसलिए सेना सर्दियों में भी एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की संख्या बरकरार रखना चाहती है। पूर्वोत्तर और मध्य कमान का दौरा करने का मकसद भी यही था कि ठंड के दिनों तक अगर चीन के साथ संघर्ष की नौबत आती है तो उससे पहले ही सारी एलएसी के सारे क्षेत्रों में भी ऑपरेशनल तैयारियां पूरी कर ली जाएं।
चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मध्य भाग में आने वाले हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की देखरेख मध्य कमान के हाथों में है। इसी तरह पूर्वोत्तर में आने वाले सिक्किम, अरुणाचल की देखरेख सेना की पूर्वी कमान के पास है। भारत का अब तक का फोकस पूर्वी लद्दाख पर रहा है, जहां 30 हजार से अधिक अतिरिक्त सैनिकों और भारी भरकम उपकरण मई से तैनात किए गए हैं। इसके अलावा पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में भी सेना की तैनाती की गई है। चीन मामलों के लिए गठित चाइना स्टडी ग्रुप ने भी दोनों क्षेत्रों में सेना की तैयारियों की एक नई समीक्षा की है। चीन सीमा से जुड़े सभी मुद्दों के लिए चाइना स्टडी ग्रुप सरकार का सबसे बड़ा एडवायजरी ग्रुप है, जिसका नेतृत्व एनएसए अजीत डोवाल करते हैं और कैबिनट सेक्रेटरी, रक्षा सचिव, गृह सचिव, विदेश सचिव सहित खुफिया एजेंसियों के प्रमुख इसके सदस्य हैं। तीनों सेनाओं के के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी इस ग्रुप का हिस्सा हैं।
पूर्वोत्तर इलाकों में भी सेनाओं को पहले ही ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा गया था। मध्य और पूर्वी सेक्टरों में भी मई के अंत तक और जून की शुरुआत में सेना की तैनाती की गई थी। दरअसल चीन के साथ तनातनी की शुरुआत सिक्किम में सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ 9 मई को पहली झड़प होने के साथ हुई थी, तब से दोनों पक्ष वहां सैन्य टुकड़ी बढ़ा रहे हैं। चीन एलएसी को कुछ मीटर तक बढ़ाने की मांग कर रहा है और उसने भारतीय क्षेत्र के एक पारंपरिक चरागाह की दीवार पर भी आपत्ति जताई है, जिसका उपयोग चरवाहे अपने जानवरों को भारतीय सीमा पर बहुत दूर भटकाए रखने के लिए करते हैं। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गुरुवार को असम के तेजपुर स्थित सेना के चौथी कोर मुख्यालय का दौरा किया। सेना प्रमुख ने अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की सैन्य तैयारियों की व्यापक स्तर पर समीक्षा की। भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में एलएसी के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे राजधानी लखनऊ पहुंचे और मध्य कमान मुख्यालय का दौरा किया। भारतीय थल सेनाध्यक्ष बनने के बाद जनरल नरवणे पहली बार अधिकारिक दौरे पर राजधानी लखनऊ पहुंचे थे। वह विशेष सर्विस विमान ने चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से हेलिकॉप्टर से वह छावनी के सूर्या खेल परिसर पहुंचे। यहां से सड़क मार्ग से जनरल नरवणे मध्य कमान मुख्यालय पहुंचे। उनका लखनऊ का दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ समय से चीन और भारत के बीच एलएसी पर तनाव की स्थिति है। जनरल नरवणे ने उत्तर प्रदेश में नेपाल और उत्तराखंड में चीन से सटी सीमाओं के हालातों और सेना की तैयारियों को लेकर सैन्य अफसरों के साथ चर्चा की और निर्देश दिए।
सेना प्रमुख को मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमन ने सैन्य ऑपरेशनल और प्रशासनिक दोनों पहलुओं पर जानकारी दी। हाल ही में उत्तराखंड से सटी सीमा पर लिपुलेख के पास चीन ने जवानों की संख्या बढ़ा दी है। यह इलाका मध्य कमान के अन्तर्गत आता है। उन्होंने उत्तराखंड से सटी चीन सीमा पर लिपुलेख के पास चीनी सेना की तैनाती और भारत की ओर से उठाये गए कदमों की समीक्षा की और चौकसी बरतने के निर्देश दिए। सेना प्रमुख ने केंद्रीय बलों की क्षमता में वृद्धि और ऑपरेशनल तैयारियों और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया। जनरल नरवणे ने उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बहुत कठिन मौसम की स्थिति में काम कर रहे अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों के प्रयासों की सराहना की।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved