गोरखपुर । मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर (Chief Minister and Gorakshpeethadhishwar) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) रविवार से मंगलवार तक (Sunday to Tuesday) अनुष्ठान व आराधना में (In Rituals and Worship) लीन रहेंगे (Will Remain Engrossed) । गोरक्षपीठाधीश्वर रविवार (22 अक्टूबर) को नवरात्र की अष्टमी तिथि में विधि विधान से महानिशा पूजन व हवन कर लोक मंगल की प्रार्थना करेंगे।
उल्लेखनीय है कि नवरात्र के प्रथम दिन गोरखनाथ मंदिर के मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में सीएम योगी ने कलश स्थापना की थी। अष्टमी की रात वह यहीं आदिशक्ति की आराधना कर महानिशा पूजन करेंगे। नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार अष्टमी की रात में सात्विक बलि देकर विशेष हवन किया जाता है।
मंदिर की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार (23 अक्टूबर) को सुबह 8:30 बजे से मातृ शक्ति के प्रति श्रद्धा व सम्मान के प्रतीक के रूप में कन्या पूजन का अनुष्ठान होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कन्या पूजन कर मातृ शक्ति के प्रति गोरक्षपीठ की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। गोरक्षपीठाधीश्वर नौ दुर्गा स्वरूपा नौ कुंवारी कन्याओं के पांव पखारेंगे, उनके माथे पर रोली, चंदन, दही, अक्षत का तिलक लगा विधि विधान से पूजन करेंगे। भोजन कराकर दक्षिणा व उपहार देकर उनका आशीर्वाद भी लेंगे। इस दौरान परंपरा के अनुसार बटुक पूजन भी किया जाएगा।
जबकि मंगलवार (24 अक्टूबर) को गुरु गोरक्षनाथ के विशिष्ट पूजन व गोरक्षपीठाधीश्वर के तिलकोत्सव के बाद सायंकाल विजयदशमी की शोभायात्रा निकाली जाएगी। दशकों से गोरखनाथ मंदिर को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पांडेय कहते हैं कि सामाजिक समरसता की एक बड़ी नजीर प्रतिवर्ष विजयादशमी के अवसर पर निकलने वाली गोरक्षपीठाधीश्वर की परंपरागत शोभायात्रा में भी देखने को मिलती है। इस शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते ही हैं, इसका अल्पसंख्यक समुदाय (मुस्लिम व बुनकर समाज) के लोगों द्वारा भव्य स्वागत भी किया जाता है।
गिरीश पांडेय कहते हैं कि गोरक्षपीठ में विजयादशमी का दिन एक और मायने में भी खास होता है। इस दिन यहां संतों की अदालत लगती है और दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं गोरक्षपीठाधीश्वर। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं।
गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी को पात्र पूजा का कार्यक्रम होता है। इसमें गोरक्षपीठाधीश्वर संतो के आपसी विवाद सुलझाते हैं। विवादों के निस्तारण से पूर्व संतगण पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ का पूजन करते हैं। पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई भी झूठ नहीं बोलता है। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन के लिए भी जाना जाता है। मंदिर के पास रहने वाले लोग कहते हैं कि गोरक्षपीठ ने कभी भी किसी को जाति या मजहब के चश्मे से नहीं देखा। मंदिर परिसर में अल्पसंख्यक समुदाय के ऐसे दुकानदार बहुतायत में हैं, जो पीढ़ियों से यहीं रोजी रोजगार में रत हैं। सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ रोजाना सुबह फरियादियों की समस्याओं का समाधान कराते थे तो उसमें बहुत सारे अल्पसंख्यक समुदाय के पुरुष-महिलाओं की होती थी।
आज भी जब यहां सीएम का जनता दर्शन कार्यक्रम होता है, तो भी यह नजारा देखने को मिलता है। दशहरे के दिन गोरखनाथ मंदिर की विजयादशमी शोभायात्रा का इंतजार तो पूरे शहर को होता है, लेकिन सबसे अधिक उत्साह अल्पसंख्यक समुदाय के उन लोगों में दिखता है, जो मंदिर के मुख्य द्वार से थोड़ी दूर घंटों पहले फूलमाला लेकर गोरक्षपीठाधीश्वर के स्वागत को खड़े रहते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर का काफिला जब यहां रुकता है तो सामाजिक समरसता की वह तस्वीर विहंगम होती है।
मंदिर की तरफ से बताया गया कि परंपरा के अनुसार इस वर्ष भी विजयादशमी के दिन मंगलवार सायंकाल गोरखनाथ मंदिर से गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाएगी। पीठाधीश्वर गुरु गोरक्षनाथ का आशीर्वाद लेकर अपने वाहन में सवार होंगे। तुरही, नगाड़े व बैंड बाजे की धुन के बीच गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंचेगी। यहां पहुंचकर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ से जुड़े मानसरोवर मंदिर पर देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद उनकी शोभायात्रा मानसरोवर रामलीला मैदान पहुंचेगी। यहां चल रही रामलीला में वह प्रभु श्रीराम का राजतिलक करेंगे। इसके साथ ही प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण व हनुमानजी का पूजन कर आरती भी उतारी जाएगी।
यही नहीं विजयादशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर में होने वाले पारंपरिक तिलकोत्सव कार्यक्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देंगे। विजयादशमी के दिन शाम को गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत भोज का भी आयोजन होगा, इसमें अमीर-गरीब और जाति-मजहब के विभेद से परे बड़ी संख्या में सर्वसमाज के लोग शामिल होते हैं।
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