हाथरस । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने हाथरस हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए (Ordered Judicial Inquiry into Hathras Accident) । उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में हिस्सा लेने पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच भगदड़ मच गई, जिसमें 121लोगों की मौत हो गई। इस मामले में अब सीएम योगी एक्शन में आ गए हैं। सीएम खुद इस मामले की मॉनिटिरंग कर रहे हैं ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस के हादसे पर कहा इस कार्यक्रम में जो सज्जन अपना उपदेश देने आए थे उनकी कथा संपन्न होने के बाद, उनके मंच से उतरने के पर, उन्हें छूने के लिए महिलाओं का एक दल आगे बढ़ा तभी उनके पीछे एक भीड़ गई। इसी दौरान वे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ते गए। सेवादार भी लोगों को धक्का देते रहे जिसके कारण यह हादसा हुआ… इस पूरी घटनाक्रम के लिए एडीजी आगरा की अध्यक्षता में एक एसआईटी गठित की गई है जिसने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी है। कई पहलू हैं जिनपर जांच होना आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस भगदड़ पर कहा, “कुछ लोगों की प्रवृति होती है कि इस प्रकार की दुखद घटनाओं पर वे राजनीति ढूंढते हैं। ऐसे लोगों की फितरत है, चोरी भी और सीना जोरी भी। यह हर व्यक्ति जानता है कि उन सज्जन की फोटो किसके साथ है और उनके राजनीतिक संबंध किनके साथ जुड़े हुए हैं। आपने देखा होगा कि पिछले दिनों रैलियों के दौरान इस प्रकार की भगदड़ कहां मचती थी और कौन इसके पीछे था।
बाबा का मूल नाम नारायण साकार हरि है और वे एटा ज़िले से अलग हुए कासगंज ज़िले के पटियाली के बहादुरपुर गांव के निवासी हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के शुरुआती दिनों में वे स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहे। क़रीब 28 साल पहले उन्हें छेड़खानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सज़ा मिली। तब सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया था। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि छेड़खानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफ़ी लंबे समय तक क़ैद रहे और जेल से रिहाई के बाद ही सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आए।
पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए फिर उनकी नौकरी बहाल हो गई लेकिन 2002 में आगरा ज़िले से सूरजपाल ने वीआरएस ले लिया। पुलिस सेवा से मुक्ति के बाद सूरजपाल जाटव अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुँचे, जहाँ कुछ दिन रुकने के बाद उन्होंने ईश्वर से संवाद होने का दावा किया और ख़ुद को भोले बाबा के तौर पर स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया। कुछ सालों के अंदर ही उनके भक्त उन्हें कई नामों से बुलाने लगे और इनके बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए, जिनमें हज़ारों लोग शरीक होने लगे।
इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार के मुताबिक 75 साल के सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा तीन भाई हैं। सबसे बड़े सूरजपाल है, दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनका निधन हो चुका है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। बहरहाल पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस मामले की मॉनिटिरंग कर रहे हैं। एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है। बाबा कहां है…इस बारे में दो बातें सामने आ रही है। पहली यह है को पुलिस ने किसी आश्रम में रखा है, बताया यह जा रहा है कि मामला शांत होने पर पुलिस उनकी गिरफ्तारी बता सकती है। दूसरी ओर बाबा के फरार होने व मोबाइल बंद होने की जानकारी सामने आई है। आगे जो भी हो इस घटना से पूरा देश स्तब्ध है।
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