भोपाल। आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन व्यवस्था अफसरों की सुस्ती और लापरवाही से हेल्पलेस नजर आ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हिदायद के बाद भी अफसर समस्याओं का समाधान करने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण 5 साल में करीब 3,299 समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। अब मुख्यमंत्री इस संबंध में 16 जनवरी को कलेक्टर-कमिश्नर काफ्रेंस में समीक्षा करेंगे। संभावना जताई जा रही है कि इस समीक्षा में कई लापरवाह अफसरों पर गाज गिर सकती है। गौरतलब है कि आमजन की समस्याओं के निराकरण में तेजी लाने और व्यवस्था में सुशासन लाने के लिए सरकार सरकार ने सीएम हेल्पलाइन व्यवस्था शुरू की है।
लेकिन सरकार के प्रयासों को अफसर पलीता लगा रहे हैं। आमजन की समस्याओं के प्रति अफसरों की अनदेखी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2015 से 2019 के बीच की 3,299 समस्याओं का निराकरण विभिन्न विभागों के अफसर अब तक नहीं कर सके हैं। अफसरों की घोर लापरवाही का यह मुद्दा 16 जनवरी को होने वाली कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में उठने वाला है जिसमें जिम्मेदार अफसरों के विरुद्ध कार्यवाही के संकेत सरकार ने दिए हैं।
सख्ती का भी नहीं दिख रहा असर
मुख्यमंत्री के सख्त रूख और निर्देशों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टरों ने तो सख्ती दिखाई है, लेकिन विभागों के अफसरों अनसुना कर रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन के केस निराकरण में होने वाली देरी को लेकर जिलों में कलेक्टर सतर्क हैं पर इसमें कमी नहीं हो पा रही है। जबलपुर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने तो अपने साथ जिला पंचायत और नगर निगम समेत अन्य विभागों के अधिकारियों का दिसम्बर माह वेतन भी रोक दिया था लेकिन हालात में ज्यादा सुधार नहीं है। पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने एक साथ 22 अधिकारियों का वेतन रोकने की कार्यवाही की है। इसी तरह की स्थिति अन्य जिलों के मामले में भी है। कई जिलों में इंजीनियरों और अन्य अधिकारियों का निलंबन भी हो चुका है। अब इस मामले में शासन बड़े अफसरों पर एक्शन ले सकता है।
कम नहीं हो रही पेंडेंसी
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर की जाने वाली शिकायतों की हर माह समीक्षा किए जाने और जिला व विभाग वार ग्रेडिंग किए जाने के बावजूद इसकी पेंडेंसी कम नहीं हो पा रही है। संचालक सीएम हेल्पलाइन ने इसके मद्देनजर सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा है कि 2015 से 2019 तक पांच साल में शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाना गंभीर विषय है। इसलिए सभी विभागों के नोडल अधिकारी अपने जिले की जिला और राज्य स्तर की कम्प्लेन का निराकरण जल्द कराएं। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के वर्ष 2020 और 2021 की मामलों की पेंडेंसी अलग है।
2015 की 9 तो 2029 की 2309 शिकायतें लंबित
जिन विभागों की सीएम हेल्पलाइन में आई शिकायतें 2015 में हुई कम्प्लेन के बाद भी पेंडिंग हैं, उनमें स्कूल शिक्षा विभाग की 8 और वन विभाग की एक शिकायत शामिल है। इसके बाद वर्ष 2016 की 35, वर्ष 2017 की 201, वर्ष 2018 की 745 और वर्ष 2019 की 2309 शिकायतें शामिल हैं। वर्ष 2019 की पेंडिंग कम्प्लेन में सबसे अधिक राजस्व विभाग की 868 हैं। इस विभाग में पांच सालों में सबसे अधिक शिकायतें निराकृत होना बाकी है जिसकी संख्या 1062 है। इसी तरह स्कूल शिक्षा विभाग की वर्ष 2018 में 225 और 2017 की 96 व 2016 की 25 शिकायतें पेंडिंग हैं जो अन्य विभागों की अपेक्षा सबसे अधिक हैं। वहीं जिन जिलों की 2015 से 2019 की शिकायतें सबसे अधिक लंबित होना पाई गई हैं, उनमें सबसे अधिक 373 ग्वालियर जिले से संबंधित हैं। यहां 2019 की सबसे अधिक 289 कम्प्लेन निराकृत होना बाकी है। ग्वालियर, धार, खरगोन, पन्ना की एक-एक और राजगढ़ की तीन व बालाघाट की दो शिकायतें 2015 में हुई थीं जिसका निराकरण अधिकारी नहीं कर सके हैं। जिला वार पेंडेंसी से पता चलता है कि सीएम हेल्पलाइन केस निराकरण की पांच साल की पेंडेंसी वाले टाप टेन जिलों में ग्वालियर के अलावा भोपाल, मुरैना, सीधी, बैतूल, भिंड, सतना, शिवपुरी, रीवा, धार, पन्ना शामिल हैं।
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