भोपाल। किसानों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेहद संवेदनशील हैं। उन्होंने बिजली कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि किसानों को सिंचाई के लिए बिजली दिन में ही दी जाए। जिससे किसान रात में कड़कड़ाती ठंड में सिंचाई करने से बचे। लेकिन बिजली कंपनियों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नसीहत का असर नहीं पड़ रहा है। बार-बार समझाइश के बाद भी बिजली कंपनियां किसानों को रात में ही बिजली की सप्लाई कर रही हैं। राज्य शासन ने तय किया है कि प्रदेश में किसानों को खेती के लिए प्रतिदिन 10 घंटे की बिजली निर्बाध दी जाए। लेकिन बिजली कंपनियों द्वारा किसानों को निर्बाध बिजली नहीं दी जा रही है। समय में भी एक- से दो घंटे की कटौती की जा रही है। खास बात यह है कि बिजली आपूर्ति का समय बिना किसी सूचना के बदल दिया जाता है। निर्धारित समय से बिजली 30 मिनट से लेकर एक घंटे की देरी से आती है और समय से पहले चली जाती है। कईबार बिजली लाइन में फाल्ट होने पर कई दिनों तक बिजली आपूर्ति बाधित रहती है। किसानों की इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री बिजली विभाग की हर समीक्षा बैठक में यह निर्देश जारी करते हैं कि किसानों को 10 घंटे बिजली निर्बाध दी जाए और दिन में आपूर्ति की जाए।
घोषित अवधि में आपूर्ति की जाएगी बिजली: एमडी
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक विशेष गढ़पाले ने सभी वृत्त प्रभारियों को निर्देशित किया कि किसानों को निर्धारित समयावधि में जले/फेल ट्रांसफार्मर बदले जाएं। जले/फेल ट्रांसफार्मर बदलने में किसी भी प्रकार की कोताही बरतने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। सभी कलेक्टर तथा शासकीय आवासों को आवंटित करने वाले अधिकारियों को सूचना भेजी जाए कि अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा आवास रिक्त करते समय मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी से एनओसी अनिवार्य रूप से ली जाए। यह निर्देश प्रबंध संचालक ने कंपनी मुख्यालय में आयोजित समन्वय बैठक में मुख्य महाप्रबंधकों और मैदानी अधिकारियों को दिए। गढ़पाले ने कहा कि वृत्त स्तर पर ई-ऑफिस प्रारंभ करने की कार्यवाही को पूर्ण किया जाए और ई-ऑफिस को प्रारंभ करने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों को ट्रेनिंग देने के लिए विस्तार से कार्यक्रम तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रणाली सुदृढ़ीकरण के लिए वितरण ट्रांसफार्मर उन्नयन के प्रस्ताव का परीक्षण किया जाए और यदि किसी संभाग द्वारा गलत प्राक्कलन तैयार किया गया है तो ऐसे मामलों पर निगरानी रखते हुए उन्नयन की कार्यवाही नहीं की जाए।
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