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संसद के विशेष सत्र में पेश होगा मुख्य चुनाव आयुक्त से जुड़ा विधेयक, जानिए क्या पड़ेगा फर्क ?

September 18, 2023

नई दिल्ली (New Delhi) । संसद (Parliament) का पांच दिवसीय विशेष सत्र (special session) आज यानि सोमवार, 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। सत्र की शुरुआत होने से पहले इस दौरान पेश होने वाले विधेयकों (Bills) के बारे में अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि, पहले सूचीबद्ध विधेयकों में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों (Chief Election Commissioner and Election Commissioners) की नियुक्ति और सेवा शर्तों से जुड़ा विधेयक शामिल है। चर्चा है कि नए विधेयक के पारित होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) का ओहदा सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर से घटकर केंद्रीय राज्यमंत्री से भी कम होकर कैबिनेट सचिव का हो जाएगा।

वैसे यह पहली बार नहीं है, जब सरकार ने चुनाव आयोग के सदस्यों और सुप्रीम कोर्ट के जजों के बीच वेतन और स्थिति में समानता की स्थिति को बदलने की कोशिश की है। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे प्रस्ताव पर कुछ साल पहले भी चर्चा हुई थी, लेकिन फिर कदम आगे नहीं बढ़ सका। नए कानून के बनने से वेतन तो प्रभावित नहीं होंगे लेकिन चुनाव आयुक्तों की शक्तियों और विशेषाधिकार और दूसरी सुविधाएं और भत्तों में बदलाव आ सकता है। बदलाव के बाद उनका दर्जा कैबिनेट सेक्रेटरी लेवल के अधिकारी के बराबर होगा।


चुनाव आयुक्तों को क्या-क्या नुकसान
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के जजों और कैबिनेट सचिव के वेतन में कोई प्रभावी अंतर नहीं है लेकिन जजों को एक वर्ष में तीन LTC (Leave Travel Concessions) और कर रहित (Without Tax) सत्कार भत्ता (sumptuary allowance) जैसे अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। संयोग से, मई 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, चुनाव आयोग के सदस्यों ने स्वेच्छा से सत्कार भत्ते पर आय कर लाभ छोड़ दिया था और घोषणा की थी कि वे वर्ष में केवल एक बार ही एलटीसी का लाभ उठाएंगे।

वर्तमान स्थिति के आधार पर, मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर की ‘प्राथमिकता तालिका’ में ‘9ए’ स्थान दिया गया है,जो कैबिनेट सचिव के पद से दो पायदान ऊपर है। दूसरी तरफ कैबिनेट मंत्री 7वीं रैंक और केंद्र सरकार के राज्यमंत्री 10वीं रैंक पर आते हैं। कैबिनेट सेक्रेटरी का दर्जा 11वीं रैंक पर है।

इनसे भी होना होगा वंचित
SC जजों को प्रति माह लगभग 34000 रुपए का सत्कार भत्ता मिलता है, जिस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। सरकारी कर्मचारियों के लिए चार साल में एक एलटीसी के विपरीत, सुप्रीम कोर्ट के जज साल भर में तीन LTC के हकदार हैं। पिछले साल हुए बदलाव के बाद जजों को एक वेतनभोगी ड्राइवर और सचिवीय सहायक मिलता है। इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद 24 घंटे की सुरक्षा के साथ हवाई अड्डों पर कई औपचारिक विशेषाधिकार भी मिलते हैं।

अर्ध-न्यायिक शक्तियों पर प्रभाव
मुख्य चुनाव आयुक्त को ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा भी मिलती है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के जजों के समान चुनाव आयोग को “उच्च दर्जा” हासिल है, जिसके तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग को चुनाव सुधारों से संबंधित महत्वपूर्ण बैठकों के लिए कैबिनेट सचिव या किसी अन्य राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य नौकरशाहों को समय-समय पर बुलाने और निर्देश जारी करने की शक्ति प्राप्त है। इस शक्ति की वजह से आयोग को नौकरशाहों से स्पष्टीकरण मांगने का भी अधिकार है। नए बिल के पारित होने से चुनाव आयोग की ऐसी अर्ध-न्यायिक शक्तियां प्रभावित हो सकती हैं।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, नए विधेयक के पारित होने की स्थिति में भी ‘वरीयता तालिका’ में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। उनका वेतन सुप्रीम कोर्ट के जज, कैबिनेट सचिव और संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के समान ही रहेगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव आयोग के सदस्यों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों को कैबिनेट सचिव के बराबर किए जाने से वे जजों की तरह वेतन-भत्तों के अलावा अन्य आर्थिक लाभ पाने से वंचित रह जाएंगे।

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