नई दिल्ली । सावन (Sawan) का महीना चल रहा है. आध्यात्मिक महत्व वाले इस महीने में आमतौर पर लोग नॉनवेज खाद्य पदार्थों से दूरी बनाते हुए नजर आते हैं. ये सच भी है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सावन माह में चिकन (Chicken) की कीमतें 50 फीसदी तक कम हो गई हैं. इसके चलते पोल्ट्री उद्योग (Poultry Industry) को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
छत्तीसगढ़ में करोड़ों का नुकसान
देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में इन दिनों Sawanकी वजह से चिकन की कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिल रही है. इस महीने राज्य में करीब 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस प्रभावित हुआ है. पोल्ट्री बिजनेस को प्रतिवर्ष होने वाले इस नुकसान का आकलन क्षेत्र ही हिसाब से करें तो यह साफ हो जाता है कि सावन में 50 फीसदी कारोबार (Business) ठप हो रहा है.
चिकन की बिक्री कम होने से विभिन्न पोल्ट्री फॉर्म (Poultry Farm) के संचालकों के साथ ही इस उद्योग से जुड़े छोटे कारोबारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
इतनी कम हो गई कीमत
आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस वक्त छत्तीसगढ़ में तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा छोटे और बड़े पोल्ट्री उद्योग संचालित हैं. एक चिकन की सही तरह से देख-रेख करने के बाद बाजार में बेचने लायक बनाने में प्रति किलो चिकन 90 रुपये का खर्च आता है. जबकि सावन के महीने में महज 65 रुपये में बिक रहा है.
इसके अलावा ड्रेस चिकन की कीमत 150 से 170 रुपये प्रति किलो थी, जो अब 90 और 100 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है. वहीं स्किनलेस, बोन लेस चिकन 200 रुपये प्रति किलो के बजाय अब 120 रुपये प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है.
सावन के बाद तेज होंगी कीमतें
पोल्ट्री फॉर्म जयश्री के संचालक प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि सावन के महीने में हर साल इसी तरह की स्थिति बनती है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में यह थोड़ी ज्यादा भयावह होती जा रही है. पोल्ट्री बिजनेस में हो रहे इस नुकसान का आने वाले समय में बड़ा प्रभाव पड़ेगा और सावन खत्म होने के बाद अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए एक बार फिर से चिकन की कीमतों में भी बड़ा इजाफा करना पड़ सकता है.
अंडे की बिक्री पर भी दिखा असर
पोल्ट्री उद्योग से जुड़े कारोबारियों की मानें तो अंडे (Egg) की बिक्री में भी इसका प्रभाव देखने को पड़ रहा है. 70 रुपये दर्जन के हिसाब से बिकने वाले अंडों की कीमतों में लगभग 20 से 30 फीसदी की कमी आई है. जहां सामान्य दिनों की तुलना में चिकन की कीमतें 50 फीसदी से ज्यादा कम हो गई है, वहीं अंडों की कीमतों में भी फर्क दिख रहा है.
अन्य राज्यों में भी ऐसे हालात
सावन में जो नकसान हो रहा है, इसकी भरपाई करने के लिए पोल्ट्री उद्योग के पास कोई वैकल्पिक उपाय फिलहाल मौजूद नहीं है. छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है. पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो पहले की तरह फिलहाल न तो सेलिंग है और न ही कमाई. लिहाजा ज्यादा नुकसान उठाने से बेहतर होगा कि उत्पादन को ही कम कर दिया जाए. बिलासपुर में रहने वाले हबीब खान का कहना है कि चिकन की कीमतें कम होने की वजह से अंडों की कीमतों में भी गिरावट आई है.
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