वर्षा न होने से गहरा सकता है जल संकट…छोटे तालाबों की हालत खस्ता
इन्दौर। तालाबों (Ponds) का गहरीकरण कराने का फायदा नगर निगम (municipal Corporation) को पिछले दो-तीन सालों से लगातार मिल रहा है। मई-जून की गर्मी में भी यशवंत सागर ( Yashwant Sagar) और पीपल्यापाला तालाब ( Pipalyapala Talab) भरे हुए थे। अभी भी तालाबों (Ponds) की क्षमता के मान से आधे से ज्यादा पानी भरा हुआ है, जबकि छोटा बिलावली (Chhota Bilawali) और लिंबोदी तालाब ( Limbodi Talab) पूरी तरह सूख चुके हैं। बड़ा सिरपुर (Bada Sirpur) और छोटा सिरपुर (Chhota Sirpur) में भी पानी लगातार कम हो रहा है। बारिश की खेंच के कारण तालाबों की स्थिति अब बिगडऩे लगी है।
करीब पांच साल पहले नगर निगम (municipal Corporation) ने शहरभर की संस्थाओं और किसानों की मदद से तालाबों (Ponds) के आसपास पाल और अन्य हिस्सों में गहरीकरण का कार्य कराया था। यह कार्य तालाबों के सूखे रहने के दौरान हुआ था, जिसके चलते वहां से किसानों ने खुदाई के दौरान निकली मिट्टी अपने खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए उपयोग में ली थी। कई तालाबों का गहरीकरण इस दौरान हो गया था और निगम को इसके लिए भारी-भरकम राशि खर्च नहीं करना पड़ी थी। तालाबों के गहरीकरण के कारण पिछले चार-पांच सालों से तालाबों की स्थिति बेहतर है और मई-जून की कड़ाके की गर्मी के दौरान भी पीपल्यापाला, यशवंत सागर और अन्य तालाबों (Ponds)का जलस्तर काफी बेहतर रहा था।
शहर के तालाबों का जलस्तर
नगर निगम (municipal Corporation) अधिकारियों के मुताबिक सबसे बड़े तालाब (Pond) यशवंत सागर की क्षमता 19 फीट पानी की है और वहां अभी 13.2 फीट पानी है, जबकि बड़ी बिलावली तालाब की क्षमता 34 फीट की है और वहां 20.3 फीट पानी एवं छोटी बिलावली तालाब की क्षमता 12 फीट है, वहां तालाब सूख चुका है। लिम्बोदी तालाब की क्षमता 16 फीट है, वहां भी पानी नहीं है। बड़ा सिरपुर तालाब की क्षमता 16 फीट है और वहां 7.4 फीट पानी है। छोटा सिरपुर में 13 फीट की क्षमता है, मगर अभी 8.7 फीट पानी ही है। पीपल्यापाला तालाब 22 फीट पानी सहेज सकता है, लेकिन अभी वहां 10.9 फीट पानी ही है।
पानी सहेजने के लिए बनेंगी नालियां
निगम अधिकारियों के मुताबिक पीपल्यापाला और अन्य तालाबों (Ponds)के आसपास से कब्जे हटाने की कार्रवाई बड़े पैमाने पर की गई थी। इन तालाबों में बारिश का पानी पहुंचने वाले स्थानों पर बनी नालियों पर कब्जे कर लिए गए थे, जिसके कारण वहां बारिश का पानी नहीं पहुंच पा रहा था। नालियां बनाने के बाद पिछले साल भी बारिश का पानी तालाबों में खूब जमा हुआ था। कुछ अन्य तालाबों के आसपास भी अब आने वाले दिनों में नालियां बनाने का काम होगा और पहले जो नालियां बनाई गई थीं, वहां से भी कब्जे हटाए जाएंगे।
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