जगदलपुर। बस्तर संभाग में सावन में वर्षा नहीं होने से मौसम की बेरूखी से क्षेत्र के किसान चितिंत नजर आ रहे हैं। सावन का महिना पूरा बगैर वर्षा के अपने अंतिम पड़व में है। चिलचिलाती धूप ने कहर बरपाना नहीं छोड़ा तो आने वाले दिनों में सूखे की स्थिति निर्मित हो जायेगी, जिसका किसानों को बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। खेतों में पानी सूखता जा रहा है, किसान बेबस और लाचार नजर आ रहे हैं। जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है, वे कुछ हद तक अपनी फसल को जिन्दा रखे हुए हैं।
भाद्रपद आने मे बमुश्किल हफ्ते भर का समय रह गया। 3 अगस्त रक्षाबंधन के साथ ही सावन मास अलविदा हो जाएगा। बावजूद रोपा-बियासी के लिए पानी के लाले पड़े हैं। इलाके के किसान अमूमन रोज हल बैल लेकर अपने-अपने खेतों में डटे रहते हैं पर इंद्रदेव की कृपा दृष्टि इन पर नहीं पड़ रही है। जुलाई तक रोपा और बियासी का काम पूरा होने से धान के पौधों को बढ़वार के लिए पर्याप्त समय मिलता है। वहीं पैदावार की भी अच्छी संभावना बनी रहती है। इलाके के किसान दो तरफा नुकसा नझेल रहे हैं। कोरोना के इस संकट काल में न तो मजदूरी मिल रही है ना ही खेती-बाड़ी में उनका किस्मत साथ दे रहा है। इलाके के 60 फीसदी किसान पानी नहीं गिरने से बियासी से वंचित हैं। समय रेत की तरह हाथ से फिसलता जा रहा है और किसान ना चाहते हुए भी अपनी खरीफ फसलों की बरबादी का मंजर देखने को विवश हैं।
सरपंच पारा कोशलनार के किसान आयतू ने बताया कि खेती के लिए सिंचित रकबा बहुत कम है। लोग भगवान भरोसे खेती कर रहे हैं। बारिश नहीं होगी तो नुकसान तय है। वहीं भाजपा नेता पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने चिंता जाहिर करते हुए सरकार पर बस्तर संभाग के किसानों की सुध नहीं लेने का आरोप लगा चुके हैं।
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