नई दिल्ली: प्रमुख त्योहारों में से एक महापर्व छठ (great festival chhath) पूरे देश में धूम धाम से मनाया जा रहा है. इस दौरान भगवान सूर्य (god sun) और उनकी पत्नी उषा की पूजा की जाती है. माता उषा (mother usha) को ही छठी मैया के नाम से जाना जाता है. महापर्व छठ का उत्सव चार दिनों तक चलता है और इसका व्रत सबसे कठीन व्रतों में से एक माना जाता है. छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, छठ छठी, छठ पर्व भी कहा जाता है.
इस साल छठ महापर्व 19 नवंबर को मनाया जाएगा और इसका चार दिनों का उत्सव 17 नवंबर यानी चतुर्थी तिथि से शुरू हो जाएगा. मुख्य रूप से छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठे दिन की जाती है. इस साल ये तिथि 19 सितंबर को पड़ रही है. इससे पहले चतुर्थी तिथि को नहाय खाय, पंचमी को लोहंडा और खरना, षष्ठी को छठ पूजा और संध्या अर्घ्य और सप्तमी को उदयीमान सूर्य को अर्ध्य और पारण दिवस होता है.
छठ पर्व के पहले दिन यानि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को स्नान आदि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है. इस दिन कद्दू भात का प्रसाद ग्रहण करने की परंपरा है. इसके बाद अगले दिन यानि पंचमी तिथि के दिन नदी में पूजा करें और भगवान सूर्य का ध्यान करें और शाम को बिना नमक की पूरी और खीर का सेवन कर खरना करें. खरना के बाद ही निर्जल व्रत शुरू हो जाता है.
इसके बाद छठे दिन संध्याकाल में नदी या तालाब में जाकर डूबते सूरज को अर्घ्य दें. इस दौरान एक बांस के सूंप में प्रसाद के तौर पर फल, ठेकुआ, ईख और नारियल जैसी चीजें रखी जाती है. पर्व के आखिरी दिन यानी सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर व्रत का पारण किया जाता है.
नहाय खाय के दिन सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 45 मिनट और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 27 मिनट खरना के दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट छठ पूजा के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट व्रत पारण दिवस के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 32 मिनट और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 37 मिनट।
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