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    छठ महापर्व: आज श्रद्धालु कर रहे निर्जला व्रत

  • November 19, 2020

    • कल डूबते सूर्य को देंगे अघ्र्य

    भोपाल। शहर के अलग-अलग इलाकों में रहने वाले भोजपुरी समाज के लोग आज छठ महापर्व के दूसरे दिन निर्जला व्रत कर रहे हैं। शुक्रवार को घाटों पर डूबते हुए सूर्य को दूध एवं जल से अघ्र्य देंगे। छठ महापर्व कर लिए घरों में तैयारियां पूरी हो गई हैं। शीतलदास की बगिया, कमला पार्क सनसेट, पांच नंबर, भेल बडख़ेड़ा, सीहोर नाका, आनंद नगर सहित कई जगह विर्सजन घाट व कुंड छठ महापर्व के लिए तैयार हैं। बिहार सांस्कृतिक परिषद के महासचिव सतेंद्र कुमार और भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा का आयोजन पूर्णतया पवित्रता, मनोयोग एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। छठ पर्व का बहुत महत्व है। यह महापर्व मुख्यत: पूर्वी भारत विशेषकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तरप्रदेश में बड़े धूम-धाम से छठी माई एवं सूर्य देवता की पूजा समाज के सभी लोगों द्वारा की जाती है। साथ है देश-विदेश में यहां भी भोजपुरी समाज के लोग रहते हैं, वहां छठ पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह महापर्व सूर्य, उषा, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है, ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन के देवताओं की कृपा सतत बनाये रखने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का निवेदन किया जाए। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारम्भ यह चार दिवसीय अनुष्ठान है, जिसमें किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है, बल्कि सृष्टि को प्रकाश एवं जीवन प्रदाय करने वाले सूर्य भगवान एवं छठी मैया की पूजा प्रकृति के विभिन्न पदार्थों के द्वारा पूजा की जाती है।

    • पहला दिन: छठ का प्रथम दिवस कार्तिक शुक्ल पक्ष के चतुर्थी को नहाय-खाय से प्रारम्भ होता है, जिसमें पूरे घर की साफ़ सफाई की जाती है। पवित्रता के साथ अरवा चावल (कच्चा चावल), चना दाल, ओल (शुरण) एवं लौकी की सब्जी बनाई जाती है। इस भोजन को सर्वप्रथम छठव्रती द्वारा ग्रहण किया जाता है, फिर घरवाले एवं रिश्तेदार इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
    • दूसरा दिन: महापर्व छठ का दूसरा दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी को लोहंडा अथवा खरना के रूप मनाया जाता है। इसमें दिनभर श्रद्धालु कुछ नहीं खाते-पीते। इस दिन शाम को हवन के साथ प्रसाद के अर्पण के पश्चात छठव्रती द्वारा प्रसाद ग्रहण किया जाता है। चावल और दूध की खीर पकाई जाती है। शक्कर के स्थान पर खीर में गुड़ का उपयोग किया जाता है। घरवाले एवं रिश्तेदार इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
    • तीसरा दिन: कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को ठेकुआ, अनगिनत फल, नारियल, गन्ना, लडुआ आदि प्रकृति प्रदत्?त वस्तुओं को बांस से बने सूप में सजाकर शाम के समय नहा-धोकर जलस्रोत में अथवा उसके सामने खड़े होकर डूबते सूर्य को दूध एवं जल से अघ्र्य देते है।
    • चौथा दिन: कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को पूर्व दिन की भांति ही प्रात: काल में नहा-धोकर जल के स्रोत में अथवा उसके सामने खड़े होकर उगते सूर्य को दूध एवं जल से अघ्र्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव को प्रसाद एवं हवन अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व का समापन हो जाता है।

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