नई दिल्ली। कोरोना वायरस और वैक्सीन को लेकर दुनियाभर में लगातार रिसर्च जारी है। इस बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसे केमिकल का पता लगाया है, जिसका इस्तेमाल वैसे तो रोजमर्रा की चीजों में होता है, लेकिन वह कोरोना के लिए बन रही वैक्सीन के असर को घटा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह कोरोना की वैक्सीन को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह केमिकल फेफड़ों तक पहुंच जाता है तो हालत नाजुक हो सकती है। आइए जानते हैं इस केमिकल के बारे में कि यह आखिर कितना खतरनाक है और कैसे खतरा बढ़ा सकता है।
इस केमिकल का नाम है पॉलीफ्लूरोएल्किल केमिकल, जिसे PFAS भी कहा जाता है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर फिलिपी ग्रेंडजीन कहते हैं कि यह केमिकल वैक्सीन पर कितना असर डालेगा, इसके बारे में तो अभी कहा नहीं जा सकता, लेकिन निश्चित तौर पर इससे खतरा तो है। हालांकि हम उम्मीद करते हैं कि सबकुछ ठीक रहे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पॉलीफ्लूरोएल्किल केमिकल बर्तनों से लेकर पिज्जा के डिब्बों और वाटरप्रूफ कपड़ों, आदि में पाया जाता है। रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि यह केमिकल लिवर को क्षतिग्रस्त कर सकता है। साथ ही यह कैंसर का कारक भी बन सकता है और प्रजनन क्षमता को भी घटाता है।
शुरुआती रिसर्च में यह देखने को मिला है कि जो बच्चे इस केमिकल के संपर्क में रहते हैं, उनमें टिटनेस और डिप्थीरिया की वैक्सीन लगने पर एंटीबॉडीज कम बनीं। प्रोफेसर फिलिपी ग्रेंडजीन कहते हैं कि अगर कोरोना वैक्सीन के साथ भी ऐसा ही हुआ तो यह उसे भी प्रभावित कर सकता है और वैक्सीन के असर को कम कर सकता है। हालांकि अभी इसपर और रिसर्च की जरूरत है।
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