नई दिल्ली । आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी 10 जुलाई से चातुर्मास शुरू हो रहा है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक रहेगा. चातुर्मास (Chaturmas) में भगवान विष्णु (Lord Vishnu) 4 महीनों के लिए योग मुद्रा में चले जाते हैं. इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार, विवाह, तिलक, यज्ञोपवीत आदि वर्जित होते हैं. चातुर्मास में 5 बातों को खास ध्यान रखा जाता है.
शुभ कार्यों पर पाबंदी- इन चार महीनों में मांगलिक और शुभ कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं. इस दौरान सगाई, शादी, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मंगल कार्य निषेध माने जाते हैं.
व्रत और साधना- चातुर्मास को व्रत और तपस्या का माह कहा जाता है. इन चार महीनों में साधु संत यात्राएं बंद करके मंदिर या अपने मूल स्थान पर रहकर ही उपवास और साधना करते हैं.
खान-पान- चातुर्मास में आने वाले श्रावण मास में पालक या पत्तेदार सब्जियों से परहेज किया जाता है. इसके बाद भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक मास में लहसुन-प्याज का त्याग किया जाता है. चातुर्मास मास में हमारा भोजन पूर्ण रूप से सात्विक होना चाहिए.
ये गलतियां भी ना करें- इसके अलावा चातुर्मास में शहद, मूली, परवल और बैंगन खाने से भी परहेज करें. इस दौरान पलंग पर शयन ना करें. ऐसा करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं.
कब शुरू होंगे शुभ कार्य- चातुर्मास की शुरुआत को देवशयनी एकादशी और अंत को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी को ही योग निद्रा से जागते हैं. इसी दिन से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और जातकर्म जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
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