भोपाल। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से सवर्ण गरीबों के लिए दिए गए 10 फीसदी आरक्षण पर मध्यप्रदेश में भी अमल शुरू हो गया है। सचिवालयीन सेवा की सरकारी भर्तियों में अब सवर्णों के लिए 10 फीसदी पद आरक्षित कर दिए गए हैं। अब आगे जितनी भी भर्तियां होंगी उनमें इस वर्ग के युवाओं को भी सरकारी नौकरी में जाने का मौका आसान हो जाएगा। वहीं अब नए कर्मचारियों को तीन साल तक प्रोबेशन पर रखा जाएगा। मध्यप्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (डीडीए) ने भर्ती नियमों में भी संशोधन कर दिया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह नियम तत्काल लागू कर दिया गया है। इस नए नियम के मुताबिक मध्यप्रदेश में गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलने की शुरुआत कर दी गई है। अब मध्यप्रदेश में सीधी भर्ती के पदों में से 16 प्रतिशत पद अनुसूचित जातियों, 20 प्रतिशत पद अनुसूचित जनजातियों और 27 प्रतिशत पद पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित रखे जाएंगे। इनके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए भी 10 फीसदी आरक्षण रखा गया है। इसमें खास बात यह है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में यदि कोई उम्मीदवार नहीं आता है तो वह पद खाली रखे जाएंगे। इनके अलावा बाकी पदों को भरने के लिए आमंत्रित किए जा सकेंगे।
तीन साल करना होगा इंतजार
राज्य सरकार के मुताबिक सचिवालय में भर्ती होने वाले कर्मचारियों को अब दो की बजाय तीन साल के प्रोबेशन पीरियड में रखा जाएगा। तीन साल बाद ही कर्मचारी परमानेंट होगा। प्रोबेशन पीरियड के दौरान कर्मचारी को 90 प्रतिशत वेतन दिया जाएगा। इस दौरान सरकार का पैसा जरूर बचेगा, लेकिन कर्मचारी का इंतजार बढ़ेगा।
महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण
इस नियम के मुताबिक सीधी भर्ती के पदों के लिए महिला उम्मीदवारों के लिए कुल पदों का 33 फीसदी पद सभी श्रेणियों में आरक्षित रखे जाएंगे। सीधी भर्ती के पदों में से 6 फीसदी पद दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखे जाएंगे।
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