- 11 ध्वज, 2 बैंड सहित सेहरा दर्शन की झांकी के साथ वीरभद्र भैरवनाथ का रथ होगा शामिल
उज्जैन। कल रंगपंचमी की शाम परंपरागत मार्ग से महाकाल की गेर निकाली जाएगी। दो दिन पहले इसे पंडे पुजारियों ने महाकाल विस्तारीकरण के कार्यों के चलते नहीं निकालने का निर्णय लिया था। कल शाम निर्णय बदला गया और गेर निकालने पर सहमति बनी। महाकाल मंदिर के सभी पंडे और पुजारियों ने बताया कि कल रंगपंचमी की शाम परंपरागत रूप से महाकाल की गेर निकाली जाएगी जिसमें प्रमुख रूप से ध्वज, बैंड व रथ शामिल रहेंगे। गेर परंपरागत मार्ग से ही निकलेगी जो महाकाल मंदिर से तोपखाना, दौलतगंज चौराहा, फव्वारा चौक, नईसड़क, कंठाल चौराहा, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होकर पुन: महाकाल मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्ष से कोरोना के चलते गेर नगर में नहीं निकाली जा सकी थी। हालांकि इस दौरान भी पंडे-पुजारियों ने मंदिर परिसर के अंदर ही नियम पालन करते हुए भगवान महाकाल, श्री वीरभद्र भैरवनाथ व ध्वजों का पूजन-अर्चन कर परंपरा का निर्वहन किया था।
चूंकि इस वर्ष शासन-प्रशासन द्वारा कोरोना को लेकर जारी सभी निर्देश समाप्त कर दिए है। इसको ध्यान में रखते हुए परंपरा अनुसार इस वर्ष रंगपंचमी पर्व पर भगवान महाकाल का ध्वज चलसमारोह गेर भी निकाला जाएगा। गेर में 11 ध्वजाएं, 2 बैंड, सेहरा दर्शन और श्री वीर भद्र भैरवनाथ का रथ प्रमुख रूप से शामिल रहेगा। गेर रंगपंचमी की शाम को महाकाल मंदिर के सभामंडप में शाम 6 बजे परंपरागत ध्वज पूजन के पश्चात प्रारंभ होगी। पूजन में जनप्रतिनिधिगण, प्रशासन व पुलिस के अधिकारीगण एवं महाकाल मंदिर के समस्त पंडे-पुजारीगण भी प्रमुख रूप से शामिल रहेंगे। पंडे-पुजारियों ने बताया कि पूर्व में मंदिर के विस्तारीकरण को लेकर चल रहे निर्माण आदि कार्यों को देखते हुए जनहित में शहर में गेर नहीं निकालने पर विचार किया गया था लेकिन बाद में शासन-प्रशासन के अधिकारीगणों ने समस्त पंडे-पुजारियों से भगवान महाकाल का ध्यव चलसमारोह परंपरागत रूप से शहन में निकालने का आग्रह किया जिस पर यह निर्णय लिया गया। साथ ही प्रशासन के अधिकारीगणों ने यह भी आश्वासन दिया गया कि गेर के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।