कोलकाता: क्या पश्चिम बंगाल में नई राजनीति का उदय होने वाला है? या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में बड़े बदलाव होने वाले हैं? या फिर सच ही बंगाल में बुआ भतीजे की बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जैसा की बीजेपी आरोप लगाती रही है. ऐसा हम नहीं कह रहे है बल्कि कोलकाता में लगे पोस्टर्स इस ओर इशारा कर रहे हैं.
कोलकाता में अभिषेक बनर्जी की तस्वीरों के साथ कई पोस्टर लगे हैं, जिसमें दावा किया गया है कि 6 महीने में नई टीएमसी आने वाली है. अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र और बिहार के बाद बंगाल तीसरा राज्य होगा जहां बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिल सकता है.
संभव है कि यहां सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस प्रदेश की राजनीति में बदलाव के लिए नई पीढ़ी को आगे कर रही है. शायद इसीलिए पार्टी ने कोलकाता में जगह-जगह पर पोस्टर्स लगाए हुए हैं. इन पोस्टर्स में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बजाए टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी का चेहरा है. इन पोस्टर्स पर 6 महीने में नई तृणमूल कांग्रेस आएगी का स्लोगन लिखा हुआ है, जिससे संकेत मिलता है कि ममता अभिषेक के हाथ में कमान देने वाली हैं.
ज्यादातर पोस्टर्स दक्षिण कोलकाता के हाजरा और कालीघाट इलाके में लगाए गए हैं, ये दोनों ही इलाके टीएमसी सुप्रीमो के आवास के पास हैं. खास बात यह है कि इन पोस्टर्स में ममता बनर्जी का चेहरा तक नहीं है. टीएमसी नेता सौगत रॉय ने कहा कि मैं नया तृणमूल के बारे में नहीं जानता मुझे नहीं पता कि होल्डिंग किसने दी है. अभिषेक ने नए तृणमूल के बारे में बात की है. इस पर कभी-कभी चर्चा हुई है, लेकिन नहीं जानते इस कैंपेन होडिंग या टाइमलाइन के बारे में मुझे पूरे फैसले की जानकारी नहीं है.
क्या हुआ था फरवरी में
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस में चल रही आंतरिक कलह को लेकर पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों की बुलाई थी. हालांकि इस बैठक में अभिषेक बनर्जी को दोबारा टीएमसी का महासचिव बनाया गया था. इस राष्ट्रीय कार्य समिति में जगह पाने वाले नेताओं में अमित मित्रा, पार्थ चटर्जी, सुब्रत बख्शी, सुदीप बंदोपाध्याय, अभिषेक बनर्जी, अनुब्रत मंडल, अरूप विश्वास, फिरहाद हकीम और यशवंत सिन्हा शामिल थे.
क्या थी विवाद की वजह
दरअसल, सत्तारूढ़ टीएमसी में कलह उस समय बढ़ गई जब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाने वाले नेताओं ने ‘एक व्यक्ति एक पद’ की खुलकर वकालत की, जिसके अनुसार पार्टी के एक सदस्य को एक पद पर रहना चाहिए. हालांकि हकीम समेत पार्टी के पुराने नेताओं का एक वर्ग इस कदम को पार्टी अनुशासन के खिलाफ बता रहे थे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved