नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ (S. Somnath) ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग कब होगी. इस बात का अंदाजा पहले से ही था कि चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग (Launching of Chandrayaan-3) 12 से 25 जुलाई के बीच होगी. लेकिन बुधवार यानी 28 जून 2023 को इसरो प्रमुख ने कहा कि लॉन्चिंग 12 से 19 जुलाई की बीच की जाएगी. सारी टेस्टिंग हो चुकी है. पेलोड्स लगा दिए गए हैं. लॉन्चिंग की असली डेट (Actual date of launching) कुछ दिन में घोषित होगी.
इससे पहले भी इसरो प्रमुख ने इस बात की जानकारी दी थी कि पिछली बार विक्रम लैंडर के साथ जो हुआ था. वो इस बार नहीं होगा. क्योंकि इस बार चंद्रयान-3 के लैंडर की लैंडिंग तकनीक में बदलाव किया गया है. यानी चंद्रयान-2 वाली गलतियां इस बार नहीं होंगी. चंद्रयान-3 की लैंडिंग तकनीक को नए तरीके से बनाया गया है.
चंद्रयान-3 मिशन में इसरो सिर्फ लैंडर और रोवर भेज रहा है. जबकि, चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगा रहे चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर-रोवर का संपर्क जोड़ा जाएगा. इस स्पेसक्राफ्ट के ज्यादातर प्रोग्राम पहले से ही ऑटोमैटिक हैं. सैकड़ों सेंसर्स लगाए गए हैं. जो इसकी लैंडिंग और अन्य कार्यों में मदद करेंगे. लैंडर की लैंडिंग के समय ऊंचाई, लैंडिंग की जगह, गति, पत्थरों से लैंडर को बचाने में ये सेंसर्स मदद करेंगे. चंद्रयान-3 चांद की सतह पर 7 KM की ऊंचाई से लैंडिंग शुरु हो जाएगी. 2 KM की ऊंचाई पर आते ही सेंसर्स एक्टिव हो जाएंगे. इनके अनुसार ही लैंडर अपनी दिशा, गति और लैंडिंग साइट का निर्धारण करेगा.
इस बार इसरो वैज्ञानिक लैंडिंग को लेकर कोई गलती नहीं करना चाहते. क्योंकि चंद्रयान-2 में सेंसर्स और बूस्टर्स में दिक्कत आने की वजह से उसकी हार्ड लैंडिंग हुई थी. चंद्रयान-2 सतह से करीब 350 मीटर की ऊंचाई से तेजी से घूमते हुए जमीन पर गिरा था. ISRO साइंटिस्ट चाहते हैं चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर और रोवर का संपर्क बना रहे. चंद्रयान-2 के लैंडर की तरह चंद्रयान-3 के लैंडर में पांच नहीं चार ही थ्रोटल इंजन होंगे. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में पांच थ्रोटल इंजन थे. जिसमें से एक में आई खराबी की वजह से लैंडिंग बिगड़ गई थी. इस बार चंद्रयान-3 के लैंडर में लेजर डॉप्लर विलोसीमीटर (LDV) लगाए जाने की भी खबर है. इससे लैंडिंग ज्यादा आसान हो सकती हैं.
इसलिए ये सूचनाएं ऑर्बिटर जमा करेगा. वह इसे पृथ्वी पर रिले करेगा. चंद्रयान-3 को जीएसएलवी-एमके 3 (GLSV-MK-3) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. लॉन्चिंग श्रहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगी. पिछले साल बेंगलुरु से 215 किलोमीटर दूर छल्लाकेरे के पास उलार्थी कवालू में चांद के नकली गड्ढे बनाए गए थे. इनमें लैंडर और रोवर की टेस्टिंग की जा रही थी. इन गड्ढों को बनाने में 24.2 लाख रुपये की लागत आई थी. गड्ढे 10 मीटर व्यास और तीन मीटर गहरे थे. गड्ढे इसलिए बनाए गए थे ताकि लैंडर-रोवर के मूवमेंट की सही जांच हो सके. लैंडर-रोवर में लगे सेंसर्स की जांच भी हो चुकी है.
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