नई दिल्ली(New Delhi) । Chandrayaan-3 यानी भारत की अंतरिक्ष(India’s space) सफलता एक बड़ा अध्याय, फिलहाल चांद पर सो रहा है। कब जागेगा इसका जवाब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के पास भी नहीं है। इसी बीच जापान के चंद्रयान (chandrayaan)कहे जाने वाले मून स्नाइपर ने चंद्रमा से खुशखबरी भेजी है। खास बात है कि मून स्नाइपर ने चांद से इस बार कुछ तस्वीरें भेजी हैं। वहीं, जापानी स्पेस एजेंसी JAXA के इंजीनियर मई में एक बार फिर संपर्क साधने की कोशिश करेंगे।
जापान का चंद्रयान
स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून या की सतह पर 19 जनवरी को पहुंचा था। JAXA के मुताबिक, स्लिम का दो बड़े मकसद थे। पहला, एक छोटे एक्सप्लोरर में शामिल उन तकनीकों का प्रदर्शन करना था, जो सटीक लैंडिग में मदद करती हैं। दूसरा, हल्के एक्सप्लोरेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर चांद और अन्य ग्रहों की स्टडी में तेजी लाना शामिल है।
लैंडिंग के समय फेल हुआ प्लान
यान ने शिओली क्रेटर के पास लैंडिंग की, लेकिन जैसा सोचा था वैसा हो नहीं पाया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उतरने की प्रक्रिया के दौरान अंतरिक्षयान में कोई परेशानी हुई और वो नाक के बल नीचे उतरा। अब इसकी वजह से उसके सोलर पैनल ऊपर की बजाए पश्चिम की ओर चले गए और उन्हें पावर बनाने के लिए जरूरी सूर्य की रोशनी नहीं मिली।
अब खास बात है कि लैंडर के पास बंद होने से पहले सिर्फ कुछ तस्वीरें भेजने की ही ताकत थी। इसके बाद जापान की मिशन टीम को उम्मीद जगी कि जब सूर्य की रोशनी सोलर पैनल पर दोबारा पड़ेगी, तब शायद अंतरिक्षयान जाग जाए।
हर रात के बाद जाग रहा है जापान का चंद्रयान
JAXA का कहना है कि मून स्नाइपर को चांद की रात के समय होने वाले मुश्किल भरे हालात के लिए तैयार नहीं किया गया था। NASA का भी कहना है कि चांद पर रात के समय पार -133 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। अब मून स्नाइपर से उम्मीद नहीं थी कि वो एक रात भी काट सकेगा। खास बात है कि चांद पर रात धरती की तुलना में दो सप्ताह लंबी होती है। इतना ही नहीं स्लिम चांद पर दिन का तापमान भी झेल रहा है, जो NASA के मुताबिक, 121 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है।
इधर, मून स्नाइपर का हर रात के बाद जागना भी जारी है। इस दौरान वह तस्वीरें भेजता और फिर गहरी नींद में चला जाता है। मून स्नाइपर से मिशन टीम ने 23 अप्रैल को संपर्क साधा था। मिशन टीम ने X पर लिखा था, ‘स्लिम ने चांद पर 3 रातों के बाद भी काम करना जारी रखा है, जिसकी डिजाइन में उम्मीद नहीं की थी।’ इससे पहले स्लिम ने 23 मार्च के आसपास धरती से भेजे संदेशों का जवाब दिया था।
अब आगे क्या प्लान
JAXA के इंजीनियर स्लिम से संपर्क साधने के मामले में काफी सतर्रकता बरत रहे हैं। मिशन टीम स्लिम के जागने के बाद एक दिन का समय लेती है और फिर तस्वीरें भेजने का आदेश देती है। खबर है कि सूर्यास्त होने के बाद मून स्नाइपर 29 अप्रैल को फिर आराम करने चला गया है। अब एजेंसी का कहना है, ‘हम मध्य से मई के अंत के बीच ऑपरेशन फिर शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हम आपके लगातार समर्थन की सराहना करते हैं।’
भारत के चंद्रयान-2 ने की स्लिम की काफी मदद
खबरें हैं कि चंद्रयान-2 मिशन से जापान के स्लिम को काफी अहम जानकारियां मिली थीं, जिसकी मदद से उसे चांद पर लैंडिंग में काफी मदद मिली। हालांकि, भारत का चंद्रयान-2 लैंडिंग नहीं होने के कारण पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था, लेकिन इसने स्लिम को तस्वीरें और लैंडिंग स्पॉट चुनने में मदद की थी। इसरो और JAXA LUPES मिश के लिए साथ भी काम कर रहे हैं।
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