नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने घोषणा की है कि चांद पर अपना अभियान चंद्रयान- 3 14 जुलाई की दोपहर 2.35 बजे भेजेगा। इससे पहले भी भारत यह प्रयास तीन बार कर चुका है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है। ऐसा अभी तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ही कर पाए हैं। अब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान- 3 लॉन्च किए जाने की पूरी तैयारी की जा चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि भारत का यह सपना इस बार पूरा हो जाएगा।
डर, उम्मीद, खुशी और दुख के 15 मिनट
चंद्रयान-3 पर काम 2020 में शुरू हुआ था जिसमें वैज्ञानिक और इंजीनियर इसके डिजाइन और योजना पर काम कर रहे थे। लेकिन कोविड-19 के आने के बाद इसे पूरी तरह तैयार करने में वक्त लग गया। यह 2019 के 6 सितंबर की उस रात के बाद किया जा रहा था जब पूरा देश चंद्रयान के सफल लैंड कर जाने की उम्मीद में नज़र गढ़ाए बैठा था। लेकिन आखिर के 15 मिनट में कुछ ऐसा हुआ कि यह सपना पूरा नहीं हो सका। 47 दिनों में 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत भी उस फेहरिस्त में शामिल होने वाला था जहां रूस, अमेरिका और चीन पहले से मौजूद हैं लेकिन आखिर के 15 मिनट में यह उम्मीद बिखर गई।
पीएम मोदी भी थे मौजूद, क्या हुआ था आखिरी 15 मिनट में
6 सितंबर 2019 को की दरमियानी रात जब लैंडर विक्रम की लैंडिंग में थोड़ा ही समय बचा था पीएम मोदी भी इसरो मुख्यालय में मौजूद थे। सबकी निगाहें उस पल पर थी जिसे पूरा करने के लिए देश ने सालों तक इंतजार किया है। बीच-बीच में पीएम मोदी को वरिष्ठ वैज्ञानिक ब्रीफ कर रहे थे। पहला रफ ब्रीफिंग फेज जब पूरा हुआ तब तालियों की गड़गड़ाहट को आसानी से सुना जा सकता था। अब लैंडर विक्रम की सतह से महज 7.4 किलोमीटर दूर था।
जब दूसरे फेज में लैंडर विक्रम चांद की सतह से सिर्फ 300 मीटर दूर था, अचानक से टीवी पर नज़र आ रहे वैज्ञानिकों के चेहरे मुरझा गए, खबर आई विक्रम की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है। पीएम मोदी ने वहां मौजूद वैज्ञानिकों को हिम्मत दी और एक फिर अब भारत इस सपने को साकार करने के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
तब इसरो प्रमुख ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा था, “ऑर्बिटर से मिली तस्वीर से लगता है कि विक्रम लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है, चांद का चक्कर लगा रहे आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज ली है।” अब इसरो ने उन कमियों पर काम किया है जिससे सॉफ्ट लैंडिंग की जा सके।
क्यों इतना ज़रूरी है चंद्रयान- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत जरूरी है। चांद को लेकर हमारे पास बहुत ज़्यादा जानकारियां मौजूद नहीं हैं इसलिए यह ज़रूरी है कि चांद को जान पाएं।
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