नई दिल्ली (New Delhi)। इसरो द्वारा 14 जुलाई को प्रक्षेपित चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने तय कार्यक्रम के अनुसार लक्ष्य पथ की ओर बढ़ रहा है। इसरो (ISRO) को उम्मीद है कि 23 अगस्त को सफलतापूर्वक रोवर को चांद की सतह पर उतार दिया जाएगा। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ (ISRO chief S Somnath) ने कहा कि चंद्रयान मिशन (Chandrayaan mission) का यह चरण सबसे महत्वपूर्ण (This phase most important) होगा।
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 अच्छी स्थिति में है और वह सही दिशा में बढ़ रहा है। इसका सबसे महत्वपूर्ण चरण अगले कुछ दिनों में शुरू होने वाला है जब अंतरिक्ष यान 100 किमी की गोलाकार कक्षा में प्रवेश कर चंद्रमा के करीब जाना शुरू करेगा।
उन्होंने कहा कि अभी चंद्रयान को चांद की अंडाकार कक्षा में स्थापित किया गया है, जिसका दायरा 170 किमी से लेकर 4313 किमी तक है। अगले चरण में 9-17 अगस्त के बीच इसे चंद्रमा की 100 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके एक बाद चंद्रयान से विक्रम लैंडर को चंद्रमा पर उतारा जाएगा। जिसमें एक रोवर होगा जो चांद की सतह का विश्लेषण करेगा।
उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को यह संभावित हो सकता है लेकिन अंतिम तिथि वह समय की घोषणा कुछ दिन बाद की जाएगी। सोमनाथ ने कहा कि पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार हम इसे बहुत सुलझे हुए तरीके से नीचे उतारने में सक्षम हैं।
लैडिंग में लेजर किरणों की भूमिका महत्वपूर्ण
इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 के लैंडर में लेजर डॉपलर और वेलोसिटी कैमरा लगाया गया है। लेजर डॉपलर जमीन पर उतरते समय थ्रीडी लेजर किरणें फेंकता है। ये जमीन से टकराकर वापस लौटती हैं और वहां की सतह ऊंची-नीची और ऊबड़-खाबड़ है या नहीं, इस बात की सूचना देती हैं। इसके बाद इस सूचना के आधार पर चंद्रयान अपनी लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव करता है। वहीं, वेलोसिटी कैमरा सतह की तस्वीरें लेगा और यान की गति की जानकारी देगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved