नई दिल्ली (New Delhi)। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने घोषणा की है कि चांद पर अपना अभियान चंद्रयान- 3 (Chandrayaan-3) 14 जुलाई की दोपहर 2.35 बजे भेजेगा। चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग के साथ ही भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले भी भारत यह प्रयास तीन बार कर चुका है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। भारत चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया है। ऐसा अभी तक सिर्फ रूस, अमेरिका और चीन ही कर पाए हैं। अब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान- 3 लॉन्च किए जाने की पूरी तैयारी की जा चुकी है और उम्मीद की जा रही है कि भारत का यह सपना इस बार पूरा हो जाएगा।
Chandrayaan-3 mission:
The ‘Launch Rehearsal’ simulating the entire launch preparation and process lasting 24 hours has been concluded.Mission brochure: https://t.co/cCnH05sPcW pic.twitter.com/oqV1TYux8V
— ISRO (@isro) July 11, 2023
भारत को पीछे रहना मंजूर नहीं
केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा में अंतरिक्ष संबंधी महत्वपूर्ण समझौते हुए, जिससे पता चलता है कि जिन देशों ने भारत से बहुत पहले अपनी अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी, वे आज भारत को एक समान सहयोगी के रूप में देख रहे हैं।
खुशी और दुख के 15 मिनट
चंद्रयान-3 पर काम 2020 में शुरू हुआ था जिसमें वैज्ञानिक और इंजीनियर इसके डिजाइन और योजना पर काम कर रहे थे। लेकिन कोविड-19 के आने के बाद इसे पूरी तरह तैयार करने में वक्त लग गया। यह 2019 के 6 सितंबर की उस रात के बाद किया जा रहा था जब पूरा देश चंद्रयान के सफल लैंड कर जाने की उम्मीद में नज़र गढ़ाए बैठा था। लेकिन आखिर के 15 मिनट में कुछ ऐसा हुआ कि यह सपना पूरा नहीं हो सका। 47 दिनों में 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर भारत भी उस फेहरिस्त में शामिल होने वाला था जहां रूस, अमेरिका और चीन पहले से मौजूद हैं लेकिन आखिर के 15 मिनट में यह उम्मीद बिखर गई।
पीएम मोदी भी थे मौजूद, क्या हुआ था आखिरी 15 मिनट में
6 सितंबर 2019 को की दरमियानी रात जब लैंडर विक्रम की लैंडिंग में थोड़ा ही समय बचा था पीएम मोदी भी इसरो मुख्यालय में मौजूद थे। सबकी निगाहें उस पल पर थी जिसे पूरा करने के लिए देश ने सालों तक इंतजार किया है। बीच-बीच में पीएम मोदी को वरिष्ठ वैज्ञानिक ब्रीफ कर रहे थे। पहला रफ ब्रीफिंग फेज जब पूरा हुआ तब तालियों की गड़गड़ाहट को आसानी से सुना जा सकता था। अब लैंडर विक्रम की सतह से महज 7.4 किलोमीटर दूर था।
जब दूसरे फेज में लैंडर विक्रम चांद की सतह से सिर्फ 300 मीटर दूर था, अचानक से टीवी पर नज़र आ रहे वैज्ञानिकों के चेहरे मुरझा गए, खबर आई विक्रम की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है। पीएम मोदी ने वहां मौजूद वैज्ञानिकों को हिम्मत दी और एक फिर अब भारत इस सपने को साकार करने के लिए तैयार दिखाई दे रहा है।
तब इसरो प्रमुख ने कहा था कि “ऑर्बिटर से मिली तस्वीर से लगता है कि विक्रम लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है, चांद का चक्कर लगा रहे आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज ली है।” अब इसरो ने उन कमियों पर काम किया है जिससे सॉफ्ट लैंडिंग की जा सके।
क्यों इतना ज़रूरी है चंद्रयान- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत जरूरी है। चांद को लेकर हमारे पास बहुत ज़्यादा जानकारियां मौजूद नहीं हैं इसलिए यह ज़रूरी है कि चांद को जान पाएं।
चांद की खोज क्यों?
चंद्रमा की सतह पर जितने गड्ढे हैं उतने ही जवाब और अवसर विभिन्न क्षेत्रों के लिए इसके पास हैं। चूंकि चंद्रमा धरती से बना है इस वजह से धरती के प्रारंभिक इतिहास का यहां पर भंडार है.नासा की एक रिपोर्ट बताती है कि भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के चलते हमारी धरती से जो रिकॉर्ड मिट गए हैं वह भी यहां पर संरक्षित हैं. चंद्रमा की खोज से वैज्ञानिकों को धरती की उत्पत्ति, धरती-चंद्रमा सिस्टम का निर्माण और विकास, और धरती के भूत और संभावित रूप से इसके भविष्य पर एस्टेरॉइड प्रभावों के असर के बारे में बेशकीमती जानकारी मिलती है।
इसके अलावा, चांद जटिल इंजीनियरिंग चुनौतियां पेश करता है, जिससे यह प्रौद्योगिकियों, उड़ान क्षमताओं, जीवन समर्थन प्रणालियों और तकनीक की खोज के मामले में एक आदर्श परीक्षण स्थल है. यहां जोखिमों का अंदाजा लगाने और भविष्य के मिशनों की दक्षता बढ़ाने के लिए एक शानदारा माहौल मिलता है। नासा के मुताबिक, चंद्रमा पर मौजूदगी दर्ज करके, हम दूसरी दुनिया में रहने और काम करने का सीधे अनुभव हासिल कर सकते हैं, जिससे हम तापमान और रेडियेशन की चरम स्थितियों में आधुनिक सामग्रियों और उपकरणों का परीक्षण करने में सक्षम हो सकते हैं.इसके अलावा चांद की खोज से हम मानव कार्यों में मदद करने, दूरदराज के इलाकों की खोज और महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने के लिए रोबोट के इस्तेमाल में सहज हो सकेंगे।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved