मुंबई। चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के ऑर्बिटर पर लगे हुए एक ‘लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (Class) ने उन सौर प्रोटॉन घटनाओं (SPE) का पता लगाया है, जो अंतरिक्ष में मनुष्यों के लिए विकिरण के जोखिम को काफी बढ़ा देती हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यह जानकारी दी है।
इस संबंध में इसरो का कहना है कि 18 जनवरी को इस उपकरण ने कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का भी पता लगाया, जो आयनित सामग्री और चुंबकीय क्षेत्रों की एक शक्तिशाली धारा है और कुछ दिनों बाद पृथ्वी पर पहुंचती है। इससे भू-चुंबकीय तूफान आते हैं और ध्रुवीय आकाश में प्रकाश पैदा होता है।
इसरो ISROके अनुसार सीएमई की गति लगभग 1,000 किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है और इसे पृथ्वी तक पहुंचने में दो से तीन दिन लगते है। ‘लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (क्लास) ने एसपीई और सीएमई, दोनों ही घटनाओं के बारे में पता लगाया है।
मालूम हो कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना के तहत चंद्रयान-2 का 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपण किया गया था, हालांकि, लैंडर विक्रम सात सितंबर, 2019 को चंद्रमा की सतह पर क्रैश कर गया था। इसरो ने तब कहा था कि मिशन ने 98 प्रतिशत सफलता हासिल की है, क्योंकि आर्बिटर ने ग्राउंड स्टेशन के साथ लगातार महत्वपूर्ण आंकड़े साझा करना जारी रखा है।
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