बेंगलुरु। भारत के चंद्रयान- 2 मिशन (India’s Chandrayaan-2 Mission) के ऑर्बिटर ने नया खुलासा किया है कि चंद्रमा के सबसे बाहरी आवरण (outermost mantle of the moon) (एक्सोस्फीयर) में ऑर्गन-40 गैस (argon-40 gas) फैली हुई है। इस खुलासे से चंद्रमा की सतह के बारे नई जानकारियां हासिल हो सकेंगी और अध्ययन में मदद मिलेगी। इसरो ने मंगलवार को बताया कि वैसे तो चंद्रमा पर इस गैस की मौजूदगी पहले भी मिली थी, लेकिन ताजा खोज में इसके उन क्षेत्रों में होने का पता चला जिसका अनुमान वैज्ञानिकों को पहले नहीं था।
यह खोज आर्बिटर पर मौजूद चंद्रा के एटमोस्फियरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर – 2 (चेस – 2) ने की है। यह एक मास स्पेक्ट्रोमीटर उपकरण है। यह उपकरण तत्वों के घनत्व, उनके मूल केमिकल व मॉलिक्यूल्स के ढांचे आदि को मापने के काम आता है। इसरो की नई खोज के बारे में जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक वैज्ञानिक जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत 2019 में चंद्रमा की सतह पर लैंडर व रोवर उतारे जाने थे, लेकिन मिशन का वह हिस्सा विफल रहा था। मिशन का पहला भाग, इसका ऑर्बिटर सफलता से चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया। इसमें लगे उपकरण कम से कम 7 साल तक चंद्रमा पर विभिन्न खोजें करते रहेंगे। इस साल के आखिर में इसरो चंद्रयान-3 मिशन भी भेज सकता है।
50 साल पहले अमेरिकी अपोलो 17 ने खोजी थी
इसरो के अनुसार, 1972 में भेजे गए अमेरिकी मिशन अपोलो 17 ने सबसे पहले ऑर्गन-40 की चंद्रमा पर पुष्टि की थी। लेकिन उस समय इसे केवल चंद्रमा के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में पाया गया था।
नई खोज के मायने
इसरो के अनुसार एक्सोस्फीयर में ऑर्गन-40 गैस मिलने से चंद्रमा के बाहरी मंडल को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही उसकी सतह से दसियों मीटर भीतर होने वाली रेडियोधर्मी गतिविधियों का ज्यादा सही अनुमान लगाया जा सकेगा। इसरो ने बताया, चेस-2 ने ऑर्गन-40 गैस में अज्ञात वजहों से उभार भी पाया है। इसकी वजह चंद्रमा के भूकंप या कुछ और हो सकती है, इसे समझने के लिए ज्यादा अध्ययनों की जरूरत होगी।
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